क्या एक थाली में भोजन से बढ़ता है दांपत्य प्रेम या आती है दरार? जानिए क्या कहता है शास्त्र
punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 05:42 PM (IST)

नारी डेस्क : भारतीय संस्कृति और परिवार में पति-पत्नी का एक साथ भोजन करना एक सामान्य और प्यारा दृश्य माना जाता है। यह संबंध और परिवार के बीच प्रेम, स्नेह और एकता का प्रतीक होता है। मगर जब बात आती है पति-पत्नी के एक ही थाली में खाने की, तो इस विषय में शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं में कुछ भिन्न मत पाये जाते हैं। लेकिन क्या पति-पत्नी का एक ही थाली में खाना सही है या गलत? आइए जानें शास्त्रों की दृष्टि से इस विषय पर क्या कहा गया है।
पति-पत्नी का एक थाली में खाना: पारंपरिक दृष्टिकोण
परंपरागत रूप से, पति-पत्नी अलग-अलग थाली में खाना खाते थे। इसका कारण शास्त्रों में दिया गया है कि पति और पत्नी के कर्ण (आंतरिक ऊर्जा और ग्रहों का प्रभाव) अलग-अलग होते हैं, इसलिए एक ही थाली में खाने से ऊर्जा का हस्तांतरण या ग्रहों का प्रभाव असंतुलित हो सकता है।
शास्त्रों में पति-पत्नी का खाना एक साथ खाने पर क्या कहा गया है?
वैदिक ग्रंथों और आयुर्वेद में पति-पत्नी के खान-पान और जीवनशैली के नियमों को संतुलित रखने की सलाह दी गई है। भोजन के समय शुद्धता, सफाई और सामंजस्य का ध्यान रखना चाहिए। वहीं कुछ धार्मिक मान्यताओं में यह माना जाता है कि पति और पत्नी को अलग-अलग थाली में खाना चाहिए ताकि व्यक्तिगत ऊर्जा और ग्रहों की प्रबलता पर असर न पड़े। कुछ जगहों पर यह भी माना जाता है कि पति-पत्नी एक साथ भोजन करने से परिवार में प्रेम और मेलजोल बढ़ता है, और इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता।
आधुनिक संदर्भ में क्या कहना सही होगा?
आज के समय में पति-पत्नी का एक साथ खाना, चाहे एक ही थाली से हो या अलग-अलग थालियों से, यह अधिक व्यक्तिगत पसंद, संस्कृति और पारिवारिक रीतियों पर निर्भर करता है। यदि दोनों के बीच प्रेम, सम्मान और समझदारी हो तो एक थाली में खाना कोई गलत बात नहीं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता का ध्यान जरूरी
शास्त्रों में भोजन को पवित्र और साफ-सुथरा माना गया है। एक ही थाली में खाने का निर्णय करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि भोजन स्वच्छ हो, थाली साफ हो और दोनों का स्वभाव भोजन के दौरान शांत और प्रेमपूर्ण हो।
शास्त्रों में पति-पत्नी के एक ही थाली में खाने को लेकर विभिन्न मत हैं। व्यक्तिगत और पारिवारिक सहमति से यह निर्णय लेना चाहिए। अगर दोनों को यह अच्छा लगे और इससे पारिवारिक मेलजोल बढ़े तो इसे स्वीकार करना चाहिए।