बच्चों में गर्मी के चलते बढ़ रही अस्थमा की दिक्कत, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

punjabkesari.in Monday, May 05, 2025 - 01:31 PM (IST)

नारी डेस्क: गर्मी का मौसम कई लोगों के लिए मुश्किलें लेकर आता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें अस्थमा (Asthma) है। बच्चों में यह परेशानी और भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि उनका शरीर और फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते हैं। गर्म मौसम अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है और सांस की तकलीफ भी ज्यादा हो सकती है।

गर्मी में अस्थमा क्यों बढ़ता है?

गर्म तापमान में सांस लेना मुश्किल हो सकता है। गर्मी में जब हम सांस लेते हैं तो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (सांस की नली) सख्त और संकीर्ण हो जाती है। इससे हवा ठीक से फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाती और व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। गर्मी के मौसम में एलर्जी और जलन की समस्या भी बढ़ जाती है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें वायु मार्ग (Airway) में सूजन आ जाती है। इस सूजन का मुख्य कारण एलर्जी है। जब कोई व्यक्ति बार-बार एलर्जी वाली चीजों के संपर्क में आता है या कुछ ऐसी चीजों का सेवन करता है जो शरीर को सूट नहीं करती, तो इससे शरीर में कुछ केमिकल बढ़ जाते हैं और वायु मार्ग में सूजन आने लगती है।

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रिसर्च क्या कहती है?

कुछ साल पहसे जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ में एक रिसर्च छपी थी जिसमें 12 साल का हेल्थ डाटा और मैरीलैंड के 115,000 से ज्यादा मामलों की जांच की गई। इस रिसर्च में बताया गया कि अत्यधिक गर्मी और भारी बारिश अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा देती है। खासतौर पर बच्चों को इससे ज्यादा परेशानी होती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती तक करना पड़ता है। गर्मी के मौसम में यह जोखिम 23 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। 5 से 17 साल की उम्र के बच्चों में इसका असर सबसे ज्यादा देखा गया।

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गर्मी और वायु प्रदूषण का संबंध

गर्मी के मौसम में वायु प्रदूषण का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्म हवा और ज्यादा आर्द्रता (नमी) के कारण हवा ठीक से नहीं चल पाती। इससे प्रदूषक हवा में फंसे रहते हैं जो फेफड़ों को परेशान करते हैं और अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। CDC (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार हर साल करीब 1.6 मिलियन लोग अस्थमा की वजह से इमरजेंसी में जाते हैं।

बच्चों में अस्थमा के लक्षण

बड़ों की तरह बच्चों में भी अस्थमा के कुछ खास लक्षण होते हैं। ये लक्षण समय के साथ बदल सकते हैं और कभी-कभी नजरअंदाज भी हो सकते हैं।
सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना
बार-बार खांसी होना (खासकर रात में)
खेलते या दौड़ते समय जल्दी थक जाना
सीने में जकड़न
अस्थमा की फैमिली हिस्ट्री होना
फेफड़ों का सही तरह से काम न करना
कुछ बच्चों को बचपन में घरघराहट की समस्या होती है लेकिन उन्हें आगे जाकर अस्थमा नहीं होता। लेकिन अगर ये लक्षण बार-बार हों तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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बच्चों को अस्थमा से कैसे बचाएं?

ट्रिगर से बचाव करें: बच्चों को उन चीजों से दूर रखें जो अस्थमा को बढ़ा सकती हैं, जैसे धूल, धुआं, पालतू जानवर के बाल, तेज खुशबू, परागकण आदि। बिस्तर, तकिया, गद्दा और खिलौने साफ-सुथरे रखें और समय-समय पर धूप में सुखाएं।

धूम्रपान से दूर रखें: घर में या बच्चे के पास किसी को भी स्मोकिंग न करने दें। बचपन में तंबाकू के धुएं का संपर्क अस्थमा को बढ़ा सकता है।

शारीरिक रूप से एक्टिव बनाएं: बच्चे को खेलने और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित करें। इससे फेफड़े बेहतर तरीके से काम करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

नियमित जांच कराएं: डॉक्टर से समय-समय पर बच्चे की जांच कराते रहें। अगर कोई लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

इन्हेलर हमेशा साथ रखें: अगर डॉक्टर ने इन्हेलर बताया है, तो वह हमेशा बच्चे के पास होना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल किया जा सके।

वजन को कंट्रोल में रखें: मोटापा अस्थमा को बढ़ा सकता है। इसलिए बच्चे का वजन संतुलित रखें।

एसिड रिफ्लक्स का इलाज कराएं: अगर बच्चे को पेट से जुड़ी कोई समस्या है जैसे एसिड रिफ्लक्स या सीने में जलन, तो उसका इलाज कराएं। यह भी अस्थमा के लक्षणों को खराब कर सकता है।

गर्मी का मौसम अस्थमा के रोगियों, खासकर बच्चों के लिए मुश्किलों भरा हो सकता है। गर्मी, प्रदूषण और नमी के कारण अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं। लेकिन अगर हम सही समय पर सावधानी बरतें और बच्चों की देखभाल करें, तो इस परेशानी से काफी हद तक बचा जा सकता है। हमेशा डॉक्टर की सलाह मानें और बच्चे की सेहत पर नजर बनाए रखें।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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