वॉटर बॉटल के सिपर में फंसी कक्षा 3 की छात्रा की जीभ, डॉक्टर ने बिना काटे ऐसे बचाई जान
punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 10:06 AM (IST)

नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ सेंट जोसेफ स्कूल की कक्षा 3 की छात्रा अदित्री सिंह की जीभ वॉटर बॉटल के ढक्कन के सिपर में फंस गई। बच्ची करीब ढाई घंटे तक दर्द से परेशान रही, लेकिन आखिरकार डॉक्टर ने समझदारी से उसका इलाज कर जीभ को बिना काटे बाहर निकाला।
क्या हुआ था अदित्री के साथ?
शनिवार को अदित्री स्कूल में दूसरी पीरियड के दौरान पानी पी रही थी। वह सिपर वाली बोतल से पानी पी रही थी, तभी एयर प्रेशर (हवा के दबाव) की वजह से पहले उसका होंठ सिपर में फंस गया। उसे निकालने के लिए उसने जीभ से दबाव डाला, लेकिन इसी कोशिश में उसकी आधी जीभ सिपर में फंस गई। अदित्री ने जीभ निकालने की कोशिश की, लेकिन वह बाहर नहीं निकली और वह दर्द से चिल्लाने लगी। जब स्कूल स्टाफ ने भी जीभ निकालने में असफलता पाई, तो उसे अस्पताल ले जाया गया।
तीन अस्पताल, फिर मिली राहत
पहले दो अस्पतालों ने ऑपरेशन का रिस्क होने के कारण इलाज से मना कर दिया। फिर तीसरे अस्पताल में, ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पीएन जायसवाल ने बच्ची को देखा। डॉक्टर ने कहा कि बच्ची को बेहोश नहीं किया जा सकता था, क्योंकि वो बहुत डर चुकी थी। ऐसे में उन्होंने बिना बेहोशी के इंजेक्शन के, बहुत सावधानी से कटर से सिपर के ढक्कन को दो तरफ से काटा और जीभ को सुरक्षित बाहर निकाला।
ये भी पढ़ें: माता-पिता हो जाएं सतर्क: ज़हरीले दूध ने छीनी 2 मासूमों की जान, FSSAI ने जब्त कर बहाया 5000 लीटर दूध
क्या हो सकता था खतरा?
अगर थोड़ी और देर हो जाती तो ब्लड सर्कुलेशन बंद होने के कारण जीभ का फंसा हुआ हिस्सा काला पड़कर डेड (बेकार) हो सकता था। ऐसी स्थिति में जीभ का वह हिस्सा काटना पड़ता।
सिपर वाली बोतल हो सकती है खतरनाक
अदित्री के पिता विनीत सिंह ने बताया कि वो अब सिपर वाली बोतल बच्चों को कभी नहीं देंगे और दूसरे माता-पिता से भी ऐसी बोतल से बचने की अपील की। डॉक्टर का क्या कहना है- डॉ. जायसवाल के अनुसार, यह उनके करियर का पहला ऐसा केस था। उन्होंने कहा कि सिपर के ढक्कन में जीभ फंसना आम नहीं है, लेकिन ऐसी घटनाएं छोटे बच्चों के साथ कभी भी हो सकती हैं, इसलिए बोतल चुनते वक्त सतर्क रहना जरूरी है।
बच्चों को पानी पीने के सही तरीकों के बारे में समझाना भी जरूरी है।