चंबल से टीम इंडिया तक का सफर: कैसे बनीं वैष्णवी शर्मा भारतीय क्रिकेटर
punjabkesari.in Monday, Dec 22, 2025 - 05:03 PM (IST)
नारी डेस्क: चंबल इलाके से निकलकर टीम इंडिया तक पहुंचना आसान नहीं होता, लेकिन ग्वालियर की रहने वाली वैष्णवी शर्मा ने यह कर दिखाया है। युवा लेफ्ट-आर्म स्पिनर वैष्णवी शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ विशाखापत्तनम में खेले गए टी-20 मुकाबले में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया और अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। अपने पहले ही मैच में वैष्णवी ने किफायती गेंदबाजी की।उन्होंने 4 ओवर में सिर्फ 16 रन दिए और उनकी इकॉनमी रेट 4 रही। इस शानदार प्रदर्शन से उन्होंने टीम मैनेजमेंट और सिलेक्टर्स के भरोसे को सही साबित किया।
संघर्षों के बाद मिली पहचान
वैष्णवी का यह सफर आसान नहीं था. वुमेन प्रीमियर लीग (WPL) की नीलामी में वह अनसोल्ड रहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। घरेलू क्रिकेट और जूनियर लेवल पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रहीं। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें भारतीय टीम की कैप मिली।
What's more nerve-racking than making your #TeamIndia Debut 🤔
— BCCI Women (@BCCIWomen) December 22, 2025
Addressing the post-match press conference 😁
Presenting PC tales ft. Vaishnavi Sharma 🎙️#INDvSL | @IDFCFIRSTBank pic.twitter.com/9bqePD9yPO
अंडर-19 वर्ल्ड कप बना टर्निंग पॉइंट
वैष्णवी शर्मा ने अंडर-19 वुमेन टी-20 वर्ल्ड कप में शानदार गेंदबाजी की थी। वह इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज रहीं।उन्होंने कुल 17 विकेट झटके, जिससे वह टीम इंडिया के सिलेक्टर्स की नजरों में आ गईं। इसी प्रदर्शन के दम पर उन्हें सीनियर टीम में मौका मिला।
कप्तान हरमनप्रीत कौर का भरोसा
जब टीम इंडिया की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने वैष्णवी शर्मा को इंटरनेशनल कैप दी तो साफ दिख रहा था कि टीम को इस युवा खिलाड़ी पर पूरा भरोसा है। अगर वैष्णवी इसी तरह अच्छा प्रदर्शन करती रहीं तो वह आने वाले समय में टीम इंडिया की रेगुलर खिलाड़ी बन सकती हैं, खासकर वुमेन टी-20 वर्ल्ड कप को देखते हुए।
पिता ने कुंडली देखकर लिया था फैसला
वैष्णवी शर्मा ग्वालियर की रहने वाली हैं और वह चंबल इलाके की पहली महिला क्रिकेटर बनी हैं जिन्होंने भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेला है। उनके पिता जिवाजी यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोलॉजी के प्रोफेसर हैं। उन्होंने बेटी की कुंडली देखकर पहले ही तय कर लिया था कि वह क्रिकेट में आगे जाएगी। इसके बाद उन्होंने वैष्णवी को हर कदम पर पूरा सपोर्ट दिया।
नॉन-मेट्रो शहरों के लिए प्रेरणा
वैष्णवी शर्मा की कहानी उन लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो छोटे शहरों या नॉन-मेट्रो इलाकों से आती हैं और बड़े सपने देखती हैं। उनका सफर यह साबित करता है कि मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से कोई भी खिलाड़ी टीम इंडिया तक पहुंच सकता है।

