सबसे पहले भगवान राम ने रखा था नवरात्रि का व्रत, 9 दिन तक कठोर तपस्या कर पाया था यह वरदान
punjabkesari.in Monday, Mar 31, 2025 - 07:33 PM (IST)

नारी डेस्क: नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की पूजा, आराधना और उपासना का विशेष समय है। शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिन भक्त माता की उपासना करते हैं। वैसे तो नवरात्रि में माता की आराधना करने का विधान सदियों पूराना है, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते होंगे कि सबसे पहले नवरात्रि में 9 दिनों तक व्रत किसने रखा था, इस पावन पर्व की शुरूआत कैसे हुई थी? चलिए आज हम आपको देते हैं इसकी जानकारी।
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। पुरानी कथाओं के अनुसार सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब लंका के राजा रावण ने देवी सीता का हरण किया था, तब भगवान श्रीराम सीता माता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध करने के लिए तैयार हुए। लेकिन रावण शक्ति का उपासक था और उसे कई शक्तिशाली वरदान प्राप्त थे।
युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने देवी दुर्गा की आराधना करने का निर्णय लिया। उन्होंने आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लगातार 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना की।श्रीराम ने कठिन तपस्या और व्रत रखकर देवी दुर्गा को प्रसन्न किया। कहा जाता है कि श्रीराम ने देवी को प्रसन्न करने के लिए 108 नीलकमल (कमल के फूल) चढ़ाने का संकल्प लिया। पूजा में रावण ने एक कमल गायब करवा दिया, जिससे फूलों की संख्या कम हो गई। भगवान राम ने संकल्प पूरा करने के लिए अपनी एक आंख को कमल मानकर अर्पित करने का निर्णय लिया।
जैसे ही भगवान राम ने अपनी आंख को कमल के स्थान पर चढ़ाने का प्रयास किया, देवी दुर्गा प्रसन्न हो गईं और प्रकट होकर भगवान राम को विजय का आशीर्वाद दिया। देवी दुर्गा के आशीर्वाद से ही भगवान राम ने दशमी के दिन रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। यह भी मान्यता है कि राम ने जिस नवरात्रि व्रत का पालन किया, वही आगे चलकर एक सामूहिक उपासना पर्व के रूप में प्रचलित हो गया। तभी से लोग नवरात्रि में उपवास, हवन, कन्या पूजन और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं