भगवान शिव के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने की थी हजारों वर्ष तपस्या, आज शक्कर और चमेली के पुष्प से करें मां को प्रसन्न

punjabkesari.in Monday, Mar 31, 2025 - 09:58 AM (IST)

नारी डेस्क: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। ब्रह्मा का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। ऐसे में मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ है तपस्या का आचरण करने वाली।  मां ब्रह्मचारिणी साधना, तपस्या और संयम का प्रतीक मानी जाती हैं। उनके पूजन से सदाचार, तप, धैर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के इस दिन भक्त सच्चे मन से मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।  

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 मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व 

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप  अत्यंत दिव्य और सौम्य है।  इनके एक हाथ में जप माला और दूसरे हाथ में कमंडलु होता है, जो उनकी तपस्या और साधना का प्रतीक है।  मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।  उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर कठोर तप किया था। इस कठोर तपस्या के कारण उन्हें 'ब्रह्मचारिणी' नाम से जाना गया। उनकी तपस्या से ही प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। उनकी पूजा से भक्तों को संयम, आत्मबल और सिद्धि** प्राप्त होती है।  ऐसा माना जाता है कि मां की कृपा से भक्तों को किसी भी कठिनाई का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।  

 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ सफेद या पीले वस्त्र पहनें।  घर के मंदिर को साफ करें और मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।  मां को सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, चंदन, गंगाजल और पुष्प अर्पित करें। मां के चरणों मेंअक्षत (चावल), सफेद फूल और बेलपत्रचढ़ाएं।  मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में निम्न मंत्र "ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" का जाप करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।  मां ब्रह्मचारिणी कोसफेद वस्त्रऔर फूल अर्पित करें।  

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भोग अर्पण
  
 मां ब्रह्मचारिणी को गुड़ और शक्करका भोग लगाएं। मान्यता है कि मां को यह भोग अत्यंत प्रिय है, जिससे भक्तों को सुख-समृद्धि और आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, मां को दही, चीनी और मिश्रीभी अर्पित कर सकते हैं।  पूजा के बाद मां का आशीर्वाद लें और प्रसाद को सभी में बांटें। दिनभर मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करें और उपवास रखें।  


 मां ब्रह्मचारिणी की आरती
  
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।  
जय चतुरानन प्रिय सुखदाता।।  
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।  
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।। 

ब्रह्म तेज मूरत तुम्हारी।  
वन्दना करें यह दुनिया सारी।।  
रुद्र रूप धरि चंडी बन जाओ।  
पापियों का विनाश कर जाओ।।

देव, दनुज, मुनि, सब निहारें।  
कृपा मांग तेरे द्वार खड़े।।  
ध्यान लगाकर करे पुकार।  
जय ब्रह्मचारिणी माता अपार।।**  


 मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के लाभ 

 
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से धैर्य, तप और आत्मबल की प्राप्ति होती है।  मां की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और शांतिका वास होता है।  जो लड़कियां विवाह में विलंब या बाधा  का सामना कर रही हैं, उन्हें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना अवश्य करनी चाहिए। मां की साधना से जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का संचार होता है।  इस दिन शिव-पार्वती की पूजा भी विशेष लाभकारी मानी जाती है।  मां को गुलाब या चमेली के पुष्प चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।  
 


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vasudha

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