8 साल की बच्ची के साथ आखिर क्या हुआ ऐसा? स्कूल जाने से डरी, मां दौड़ी अस्पताल...
punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 05:58 PM (IST)
नारी डेस्क : अगर आपके घर में एक बेटी है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। आजकल छोटी बच्चियों में एक ऐसा हेल्थ चेंज देखने को मिल रहा है, जिसे ज्यादातर माता-पिता समय रहते समझ ही नहीं पाते। हाल ही में सामने आया एक मामला डॉक्टरों को भी चौंका गया और उन्होंने इस पर माता-पिता को तुरंत सावधान रहने की सलाह दी है।
स्कूल जाने से डरने लगी 8 साल की बच्ची
एक दिन एक मां घबराई हुई डॉक्टर के पास पहुंची और बताते हुए रो पड़ी कि उसकी 8 साल की बेटी अचानक स्कूल जाने से मना करने लगी है। बच्ची के व्यवहार में आए इस बदलाव ने मां को परेशान कर दिया था। स्कूल में बच्चे उसकी बॉडी में आए शुरुआती बदलावों को लेकर उसे चिढ़ाते थे, जिससे वह बेहद शर्मिंदगी महसूस करती थी। वह खुद समझ भी नहीं पा रही थी कि उसके साथ आखिर हो क्या रहा है, और यही उलझन उसके मन में एक डर बनकर बैठ गई थी। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि बच्ची स्कूल का नाम सुनते ही घबरा जाती थी। मां को शुरू में लगा कि शायद यह कोई स्किन इंफेक्शन या सामान्य समस्या होगी, लेकिन डॉक्टर के सामने जो सच्चाई आई, वह इससे कहीं ज्यादा गंभीर और चौंकाने वाली थी।

डॉक्टर की रिपोर्ट में आया सच
जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्ची को सिर्फ 8 साल की उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो गए हैं, जो कि सामान्य उम्र से काफी पहले है। इतनी छोटी उम्र में बच्ची:
न शारीरिक रूप से तैयार होती है।
न मानसिक रूप से समझ पाती है।
न ही ब्लीडिंग और हाइजीन का प्रबंधन कर पाती है।
मां के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी।
कम उम्र में पीरियड्स के केस तेजी से बढ़ रहे हैं।
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डॉक्टर ने बताया: “पहले लड़कियों को पीरियड्स 14–16 साल में आते थे, लेकिन अब 8–9 साल की बच्चियों में भी यह देखा जा रहा है। यह बदलती लाइफस्टाइल का नतीजा है।” मेडिकल फील्ड में यह ट्रेंड गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।
इतनी कम उम्र में पीरियड्स क्यों शुरू हो रहे हैं?
बचपन में तेजी से बढ़ता वजन
जब बच्चों का वजन उनकी उम्र के हिसाब से तेज़ी से बढ़ने लगता है और शरीर में फैट अधिक जमा हो जाता है, तो इसका सीधा असर उनके हार्मोन पर पड़ता है। शरीर में बढ़ी हुई फैट सेल्स अतिरिक्त एस्ट्रोजन बनाने लगती हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है। इसी बढ़े हुए एस्ट्रोजन की वजह से बच्चियों में प्यूबर्टी समय से पहले शुरू हो जाती है। यानी बहुत छोटी उम्र में ही मासिक धर्म जैसे बदलाव दिखाई देने लगते हैं। यह न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बच्चों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
जंक फूड और शुगरी ड्रिंक्स
आजकल बच्चों की डाइट में फ्रेंच फ्राइज, बर्गर, पिज़्ज़ा, पैक्ड जूस और तरह-तरह के हाई-शुगर स्नैक्स का सेवन तेजी से बढ़ गया है। ये फूड आइटम स्वादिष्ट जरूर होते हैं, लेकिन बच्चों के शरीर के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते हैं। इन चीज़ों में मौजूद ट्रांस-फैट, excessive शुगर और प्रिज़रवेटिव्स बच्चों के हार्मोनल बैलेंस को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। इन्हें नियमित रूप से खाने से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे प्यूबर्टी समय से पहले एक्टिव हो जाती है। यही कारण है कि छोटी उम्र में ही बच्चियों में पीरियड्स शुरू होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

शारीरिक गतिविधि की कमी
जकल बच्चों की दिनचर्या में आउटडोर एक्टिविटी लगभग समाप्त होती जा रही है। वे बाहर खेलने की बजाय मोबाइल, टीवी और टैब पर ज्यादा समय बिताते हैं। स्क्रीन टाइम बढ़ने और शारीरिक गतिविधि कम होने से उनके शरीर का नैचुरल ग्रोथ पैटर्न बिगड़ जाता है। यही असंतुलन हार्मोनल चेंज को प्रभावित करता है और कई बार प्यूबर्टी को समय से पहले शुरू कर देता है।
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इतनी छोटी उम्र में पीरियड्स का बच्ची पर भावनात्मक असर
जब मात्र 8 साल की बच्ची को पीरियड्स शुरू हो जाते हैं, तो वह इस बदलाव को समझ ही नहीं पाती। अचानक होने वाली ब्लीडिंग उसे डराने लगती है और उसे लगता है कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है। स्कूल में बच्चे जब उसके शरीर में आए बदलावों को लेकर उसे चिढ़ाते हैं, तो वह शर्मिंदगी महसूस करने लगती है। धीरे-धीरे उसे लगता है कि वह बाकी बच्चों से अलग है, जिससे उसका आत्मविश्वास टूटने लगता है। इन्हीं कारणों से इतनी छोटी उम्र में बच्चियों पर मानसिक बोझ बढ़ जाता है। वे डर, चिंता और तनाव का सामना करने लगती हैं, और कई बार स्कूल जाने से भी कतराने लगती हैं।

डॉक्टर की पेरेंट्स को कड़ी चेतावनी
बच्चों का जंक फूड तुरंत कम करें।
रोज कम से कम 1 घंटा आउटडोर खेलने भेजें।
शुगरी ड्रिंक्स, पैक्ड स्नैक्स और फ्राइड फूड को सीमित करें।
बच्चियों को बेसिक Body Awareness सिखाएं।
बच्चे का वजन बढ़ रहा हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
बच्चा अचानक चुप या परेशान दिखे नज़रअंदाज़ न करें ।
8 साल की बच्ची का यह मामला सिर्फ एक घटना नहीं यह सभी माता-पिता के लिए एक चेतावनी है। हमारी बदलती लाइफस्टाइल, खानपान और सीमित गतिविधियां बच्चों के शरीर पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं। अगर बच्चा किसी भी तरह का बदलाव दिखाए, तो उसे "बच्चों की बात" समझकर अनदेखा न करें—क्योंकि समय पर की गई एक छोटी सावधानी उनकी पूरी जिंदगी को सुरक्षित बना सकती है।

