क्या आपको भी किसी को छूते ही लगता है करंट? जानें इसके पीछे का साइंस

punjabkesari.in Tuesday, Apr 08, 2025 - 12:29 PM (IST)

नारी डेस्क: क्या आपने कभी ऑफिस में काम करते वक्त करंट लगने का अनुभव किया है? यह समस्या कई लोगों को होती है और यह झटका बिल्कुल वैसा ही लगता है जैसे बिजली का शॉक लगने पर होता है। हालांकि, यह शॉक खतरनाक नहीं होता है, लेकिन यह आपको थोड़ी घबराहट में डाल सकता है। आपको इस पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी यह जानना ज़रूरी है कि ऐसा क्यों होता है। आइए जानते हैं इस विषय को विस्तार से।

करंट क्यों लगता है?

क्या आपने कभी सोचा है कि यह करंट क्यों लगता है? अगर आपने स्कूल में फिजिक्स या विज्ञान की पढ़ाई की है, तो आपको याद होगा कि एटम के बारे में पढ़ाया जाता था। एटम में तीन मुख्य पार्ट्स होते हैं: इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, और न्यूट्रॉन। ये तीनों हमारे शरीर में भी होते हैं और करंट लगने की स्थिति में इनकी अहम भूमिका होती है।

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एटम के अंदर क्या होता है?

एटम में इलेक्ट्रॉन (जो नेगेटिव चार्ज वाले होते हैं) और प्रोटॉन (जो पॉजिटिव चार्ज वाले होते हैं) होते हैं। साथ ही, न्यूट्रॉन होते हैं जिनका कोई चार्ज नहीं होता। सामान्य स्थिति में, शरीर में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या संतुलित रहती है। लेकिन कभी-कभी शरीर में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है, जिससे शरीर नेगेटिव चार्ज हो जाता है। जब यह शरीर किसी पॉजिटिव चार्ज वाली चीज को छूता है, तो करंट लगता है। यह एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसका अनुभव काफी चौंकाने वाला होता है।

करंट किस तरह लगता है?

पॉजिटिव चार्ज और नेगेटिव चार्ज का संपर्क: अगर आपके शरीर में पॉजिटिव चार्ज है और आप किसी नेगेटिव चार्ज वाली सतह को छूते हैं, तो करंट लग सकता है। अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी आपको छूता है और उसके शरीर में नेगेटिव चार्ज है, तो दोनों को करंट लग सकता है।

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नेगेटिव चार्ज और पॉजिटिव चार्ज का संपर्क: अगर आपका शरीर नेगेटिव चार्ज से प्रभावित हो गया है, तो आप किसी पॉजिटिव चार्ज वाली चीज को छूने पर करंट महसूस कर सकते हैं।

सर्दियों में करंट लगने की समस्या ज्यादा क्यों होती है?

यह समस्या मौसम के बदलाव पर भी निर्भर करती है। सर्दियों में यह समस्या ज्यादा होती है, क्योंकि इस मौसम में शरीर में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है, जिससे नेगेटिव चार्ज बनता है। गर्मियों में हवा में नमी ज्यादा होती है, जो इन इलेक्ट्रॉनों को नष्ट कर देती है और इस वजह से करंट कम महसूस होता है।

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एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट इस समस्या को एक सामान्य स्थिति मानते हैं। उनके अनुसार, यह समस्या अक्सर सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी होती है। 1920 के दशक में इस स्थिति का वर्णन किया गया था और इसे मुख्य रूप से हाथ, पैर और सिर में महसूस किया जाता है। हालांकि, अगर यह समस्या लगातार हो और आपको बार-बार परेशान करे, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

बॉडी में नेगेटिव चार्ज कैसे बढ़ता है?

इस समस्या को समझने के लिए सबसे पहले हमें "स्टैटिक करंट" को समझना होगा। स्टैटिक करंट तब बनता है जब दो वस्तुएं आपस में रगड़ती हैं। इससे एक वस्तु में नेगेटिव चार्ज और दूसरी में पॉजिटिव चार्ज जमा हो जाता है। जब ये दोनों वस्तुएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं, तो करंट महसूस होता है, जैसे कि किसी धातु को छूने पर शॉक लगना।

स्टैटिक करंट के मुख्य कारण

ऊनी और गर्म कपड़े पहनना: सर्दियों में लोग ऊनी कपड़े पहनते हैं, जो शरीर में अधिक इलेक्ट्रॉन्स को इकट्ठा कर सकते हैं।

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पैरों का जमीन से संपर्क न होना: जब हम पैरों को जमीन से नहीं जोड़ते, तो शरीर में इलेक्ट्रॉन्स का संतुलन बिगड़ सकता है, और इससे करंट लगता है।

शरीर में ड्राइनेस: सर्दियों में हवा में नमी कम होती है, जिससे शरीर में सूखापन बढ़ता है, और स्टैटिक करंट की समस्या ज्यादा होती है।

स्टैटिक करंट को कम करने के उपाय

जमीन से संपर्क बनाए रखें: जब भी आप घर या ऑफिस में हों, तो कोशिश करें कि आपके पैरों का जमीन से संपर्क बना रहे। यह इलेक्ट्रॉन्स को संतुलित रखने में मदद करता है।

शरीर में मॉइश्चर बनाए रखें: सर्दियों में शरीर की त्वचा में ड्राइनेस बढ़ जाती है, इसलिए नियमित रूप से मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें।

लिनन और कॉटन के कपड़े पहनें: सिंथेटिक कपड़े की बजाय प्राकृतिक कपड़े पहनें, जैसे लिनन और कॉटन, जो स्टैटिक करंट को कम करने में मदद करते हैं।

मेडिटेशन और ध्यान लगाएं: मानसिक तनाव और शरीर में इलेक्ट्रिक चार्ज का स्तर भी एक दूसरे से जुड़ा हुआ हो सकता है। ध्यान और मेडिटेशन से आप शरीर को संतुलित रख सकते हैं।

वॉक और जॉगिंग करें: नियमित रूप से चलने या दौड़ने से आपके शरीर में इलेक्ट्रॉन का संतुलन बेहतर रहता है और करंट का अनुभव कम होता है।

करंट लगने की समस्या आमतौर पर खतरनाक नहीं होती है लेकिन यह काफी असहज और डरावनी हो सकती है। इसे समझने और इससे बचने के लिए कुछ छोटे-छोटे बदलावों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। मौ


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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