दिल्ली का चमत्कारी राधा रानी मंदिर: जहां कोई खाली हाथ नहीं लौटता, 300 सालों से गूंज रही भक्ति की घंटियां
punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 10:28 AM (IST)
नारी डेस्क: पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में कदम रखते ही इतिहास, संस्कृति और आस्था की सुगंध महसूस होती है। इन्हीं गलियों के बीच बसा है एक ऐसा चमत्कारी मंदिर, जो करीब 300 साल पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयं राधा रानी प्रकट हुई थीं, और तभी से यह स्थान करोड़ों भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है।
जहां राधा रानी हुईं प्रकट तीन सौ साल पुराना चमत्कार
पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक के कटरा नील बाजार में स्थित यह मंदिर साधारण नहीं, बल्कि एक जीवित चमत्कार की गवाही देता है। पंडित नवीन गोस्वामी, जो इस मंदिर के पुजारी हैं और मंदिर की सेवा करने वाली वंशीली जी महाराज की 9वीं पीढ़ी से हैं, बताते हैं कि लगभग तीन सौ साल पहले राधा रानी स्वयं इस मंदिर के प्रांगण में प्रकट हुई थीं। उनका कहना है कि “आज तक जिसने भी सच्चे मन से यहां आकर कुछ मांगा, उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है।” यही कारण है कि यह मंदिर ‘मनोकामना पूर्ण मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।
हर भक्त की झोली भरती हैं राधा रानी
इस मंदिर के बारे में एक अद्भुत बात यह कही जाती है कि यहां कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। चाहे वह धन की कामना हो, संतान की इच्छा हो या जीवन में शांति की चाह राधा रानी हर सच्चे भक्त की सुनती हैं। कई श्रद्धालु बताते हैं कि जब उन्होंने निराशा के समय इस मंदिर में प्रार्थना की, तो जल्द ही जीवन में सकारात्मक बदलाव आया। शाम के समय जब आरती होती है, तो पूरा प्रांगण घंटियों और भजन की ध्वनि से गूंज उठता है, और वातावरण में एक अद्भुत शांति और श्रद्धा का भाव भर जाता है।

चारों ओर मंदिरों से घिरा दिव्य ऊर्जा का केंद्र
पंडित नवीन बताते हैं कि इस मंदिर की एक और अनोखी बात यह है कि इसके चारों ओर सात से आठ और छोटे मंदिर बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो सभी देवालय मिलकर राधा रानी के इस मंदिर की रक्षा कर रहे हों। यह दृश्य देखने में उतना ही सुंदर है जितना इसका आध्यात्मिक अर्थ यह बताता है कि जब भक्ति सच्ची हो, तो ब्रह्मांड भी उसकी रक्षा करता है। सूर्यास्त के समय जब दीपक जलते हैं और मंदिरों की घंटियां एक साथ बजती हैं, तो पूरा कटरा नील बाजार भक्ति के संगीत से जगमगा उठता है।
मंदिर तक कैसे पहुंचे
अगर आप भी इस दिव्य मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो यहां पहुंचना बहुत आसान है। सबसे पहले दिल्ली मेट्रो की येलो लाइन से चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन तक आएं। यहां से गेट नंबर 2 से बाहर निकलकर किसी भी रिक्शा से कटरा नील बाजार पहुंच सकते हैं। बाजार में किसी से भी “राधा रानी मंदिर” का रास्ता पूछें, और लोग मुस्कुराते हुए आपको सही दिशा दिखा देंगे क्योंकि यह मंदिर यहां के हर व्यक्ति की श्रद्धा का प्रतीक है।
मंदिर के दर्शन का समय
इस मंदिर के दर्शन के लिए समय तय है
सुबह: 6:00 बजे से 12:00 बजे तक
शाम: 5:00 बजे से 8:00 बजे तक

इन समयों के बीच मंदिर का वातावरण भक्ति और सुगंध से भर जाता है। अगर आप सुबह आरती के समय पहुंचें, तो राधा रानी की झांकी में दिव्यता का अहसास होता है, जबकि शाम की आरती में घी के दीपों की रोशनी और शंख की ध्वनि मन को मंत्रमुग्ध कर देती है।
राधा रानी मंदिर: आस्था, इतिहास और चमत्कार का संगम
पुरानी दिल्ली के इस 300 साल पुराने मंदिर की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यहां परंपरा और चमत्कार एक साथ जीवंत हैं। वंशीली जी महाराज की पीढ़ियों से चलती आ रही यह सेवा आज भी उतनी ही निष्ठा से निभाई जा रही है। लोगों का कहना है कि इस मंदिर में आने के बाद मन हल्का हो जाता है, दुख दूर हो जाते हैं और दिल में एक अनकही शांति बस जाती है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि राधा रानी की जीवंत उपस्थिति का प्रतीक है, जहां हर दीपक एक नई उम्मीद जगाता है।
अगर आप भी कभी पुरानी दिल्ली जाएं, तो चांदनी चौक की भीड़ में से कुछ पल निकालकर इस मंदिर के दर्शन जरूर करें। कहते हैं, राधा रानी के चरणों में सिर झुकाने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता।

