Navratri 2021: निसंतानों को संतान देती हैं स्कंदमाता, इस विधि से करें संध्या पूजन
punjabkesari.in Saturday, Oct 09, 2021 - 05:36 PM (IST)
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता देवी की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता नवदुर्गा की पांचवी अवतार हैं। शारदीय नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ समयों में से एक है, जब मां दुर्गा कैलाश में अपने निवास से पृथ्वी पर अवतरित होती हैं। स्कंदमाता की पूजा करने वालों को भी उनकी गोद में विराजमान स्कंद का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो लोग स्कंदमाता की पूजा करते हैं उन्हें प्रसिद्धि, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। कहा जाता है कि अगर माता की दृष्टि मूढ़ व्यक्ति पर भी पड़ जाए तो वो भी ज्ञान से भर जाता है।
देवी स्कंदमाता की जन्मकथा
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जब देवी पार्वती कार्तिकेय की मां बनीं, जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है तो उन्हें मां स्कंदमाता के नाम से जाना जाने लगा। स्कंदमाता मां कार्तिकेय को गोद में लिए क्रूर सिंह पर सवार है। स्कंदमाता देवी दो बाएं हाथों में कमल के फूल, दाहिने हाथ से कार्तिकेय, दूसरा दाहिना हाथ अभय मुद्रा या निर्भयता भाव में है। चूंकि वह कमल के फूल पर विराजमान हैं इसलिए मां को पद्मासन या विद्यावाहिनी भी कहा जाता है। पुराणों में देवी के इस स्वरुप को कुमार कहकर संबोधित किया जाता है।
इस विधि से करें संध्या पूजन
. संध्या के समय देवी के सामने आसन पर बैठ घी का दीपक जलाएं।
. देवी को रक्त चंदन का तिलक लगाकर वही तिलक खुद के कंठ पर लगा लें।
. मां के मंत्र का 108 बार जप करके मां स्कंदमाता और स्कंद को षोडशोपचार अर्पित करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें।
. नियमित रूप से कंठ पर लाल चंदन का तिलक लगाते रहें। मान्यता है कि इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है और मानसिक समस्याएं नहीं होती।
कैसे करें मां को प्रसन्न?
. नवरात्रि के पांचवें दिन का रंग रॉयल ब्लू, पीले या सफेद है। नवरात्रि का पालन करने वाली महिलाएं पारंपरिक रूप से इस दिन नीले या सफेद रंग के कपड़े पहनती हैं।
. मां स्कंदमाता को लाल रंग के फूल विशेष रूप से गुलाब बहुत पसंद हैं। जो लोग नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता को लाल फूल चढ़ाते हैं, उन्हें देवी मां के साथ-साथ दिव्य पुत्र का भी आशीर्वाद मिलता है। हालांकि आप मां को कमल या नीले रंग के फूल भी चढ़ा सकते हैं।
. मां को पीले फल, चावल से बना प्रसाद जैसे खीर अर्पित करें। अच्छी सेहत के लिए मां को केले का भोग लगाया जाता है।
. "सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया | शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||" मंत्र का 108 बार जप करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
निसंतानों को संतान देती हैं स्कंदमाता
प्राचीन कथाओं के अनुसार, स्कंदमाता देवी पार्वती का परम अवतार है। भगवान शिव से विवाह के बाद वह इस बात को लेकर विचलित रहती थी कि उनका बाल हो, जो उन्हें माता कहकर पुकारे। तब देवी ने स्कंदमाता का रूप लेकर भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद भगवान को प्रकट किया। मान्यता है कि सच्चे मन से स्कंदमाता की आराधना करने से निसंतानों को भी शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
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