101 साल की उम्र में भी जवान! मिलिए यंगस्टर्स को टक्कर देने वाली  Yoga Teacher से

punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 11:39 AM (IST)

नारी डेस्क: सीखने या अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए कोई सही उम्र नहीं होती। ऐसी ही कहानी है 101 वर्षीय फ्रांसीसी योग शिक्षिका की, जिन्हें भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। यह चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है और चोपिन इसे पाने वाले चार फ्रांसीसी नागरिकों में से एक थीं। 101 साल की उम्र में शार्लोट चोपिन (Charlotte Chopin) हमें योग का सही मतलब सिखा रही हैं। वह इस बात का प्रतीक हैं कि उम्र सिर्फ़ एक संख्या है। 

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योग को फ्रांस में किया लोकप्रिय

 शार्लोट चोपिन को पद्मश्री पुरस्कार  योग को फ्रांस और यूरोप में लोकप्रिय बनाने और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मिला। शार्लोट ने यह सिद्ध कर दिया कि योग करने और सिखाने की कोई उम्र नहीं होती। 100 पार करने के बाद भी वह हर दिन योगाभ्यास करती हैं।  उनके अनुसार योग सिर्फ शरीर को लचीलापन देने का साधन नहीं, बल्कि एक मानसिक और आत्मिक अनुशासनहै।

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50 की उम्र के बाद शुरू किया योग

 शार्लोट ने खुद 50 की उम्र में योग करना शुरू किया था, लेकिन जल्द ही इसमें महारत हासिल कर ली। शार्लोट चोपिन ने 1982 में फ्रांस में योग सिखाना शुरू किया। फिटनेस के युग के विस्तार के साथ उनकी लोकप्रियता बड़ी संख्या में बढ़ी। फिटनेस और मानसिक शांति की तलाश करने वालों के लिए योग फ्रांसीसी राष्ट्र में सबसे प्रमुख प्रथाओं में से एक है। शार्लोट चोपिन उस पहलू में एक प्रमुख तत्व रही हैं

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लाखों लोगों के लिए हैं प्रेरणा

वह पिछले कई दशकों से बिना रुके नियमित रूप से योग कर रही हैं। यह दर्शाता है कि निरंतरता ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने योग को फ्रांस में लोकप्रिय बनाने का बीड़ा उठाया, जहां पहले लोग इसके बारे में बहुत कम जानते थे।शार्लोट चोपिन जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर नीयत और समर्पण सच्चा हो, तो उम्र सिर्फ एक संख्या रह जाती है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन में स्वास्थ्य, संतुलन और शांति चाहता है।


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Content Writer

vasudha

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