बीजिंग ने ऐसे जीती प्रदूषण से जंग, क्या दिल्ली भी सीख पाएगी ये सबक?
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 04:44 PM (IST)
नारी डेस्क : भारत की राजधानी दिल्ली इस समय लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है। हर साल यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल होती है, जिससे लोगों की सेहत पर भी गहरा असर पड़ रहा है। सांस की समस्याएं, अस्थमा, दम और अन्य रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए अभी तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हालांकि, कभी यही हाल चीन की राजधानी बीजिंग का भी था, लेकिन वहां की सरकार ने सख्त और योजनाबद्ध कदम उठाकर प्रदूषण पर नियंत्रण पा लिया। अब सवाल यह है कि दिल्ली कब प्रदूषण मुक्त हो पाएगी और बीजिंग जैसी सफलता हासिल कर पाएगी।
जो दौर दिल्ली झेल रही है, उससे बीजिंग पहले गुजर चुका है
एक समय था जब बीजिंग शहर घने धुएं और जहरीली हवा की चादर में ढका रहता था। साल 2013 में प्रदूषण इतना बढ़ गया कि लोगों की आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों की बीमारियां तेजी से बढ़ने लगीं। उस समय इस भयानक हालत को ‘एयरपोकैलिप्स’ नाम दिया गया। स्थिति इतनी गंभीर थी कि मेडिकल इमरजेंसी लगानी पड़ी और स्कूलों को बंद करना पड़ा। बता दें की आज दिल्ली भी लगभग उसी दौर से गुजर रही है। हाल ही में नवंबर के मध्य में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। सुप्रीम कोर्ट भी दिल्ली की बिगड़ती हवा पर चिंता जता चुका है।
बीजिंग की जीत: सख़्ती, प्लानिंग और लगातार निगरानी
जब बीजिंग में प्रदूषण ने संकट खड़ा किया और जनता का दबाव बढ़ा, तो चीनी सरकार ने शहर को प्रदूषण से मुक्त करने का बड़ा फैसला लिया। उनका यह मिशन सफल हुआ। बता दें की 2013 में बीजिंग में PM2.5 का औसत स्तर 101.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। जो 2024 में घटकर 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गया। दिल्ली और बीजिंग में एक जैसी भौगोलिक स्थिति होने के कारण प्रदूषण फैलने में दिक्कत होती है। इसलिए बीजिंग के कदम दिल्ली के लिए बड़ा सबक बन सकते हैं।
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नीले आसमान की ‘जंग’ बीजिंग के बड़े फैसले
डेटा की सख्त निगरानी: बीजिंग ने 1,000 से अधिक सेंसर लगाकर एक बड़ा PM2.5 मॉनिटरिंग नेटवर्क तैयार किया, जिससे प्रदूषण के स्रोत और समय की सही पहचान हो सके।
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: निजी वाहनों पर नियम सख्त किए गए, पार्किंग सीमित की गई और मेट्रो व बसों को मजबूत किया गया। इससे बड़े पैमाने पर लोग सार्वजनिक परिवहन की ओर लौटे।
वाहनों पर नियंत्रण: 2017 में यूरो-VI जैसे कड़े उत्सर्जन मानक लागू किए गए। पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को स्क्रैपिंग के जरिए हटाया गया।
इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन: बीजिंग में आज 4 लाख इलेक्ट्रिक वाहन और 2 लाख चार्जिंग पॉइंट हैं, जिससे वाहनों का प्रदूषण तेजी से कम हुआ।
कोयले पर निर्भरता कम की: कोयले से चलने वाले कई बिजली संयंत्र और हीटिंग सिस्टम बंद कर प्राकृतिक गैस और सौर ऊर्जा पर जोर दिया गया।
उद्योगों पर कार्रवाई: प्रदूषण फैलाने वाले हजारों कारखानों की जांच के लिए 5,600 पर्यावरण इंस्पेक्टर तैनात किए गए और नियम न मानने वाली फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई हुई।
इन प्रयासों का असर
केवल चार साल (2013-2017) में ही बीजिंग में PM2.5 का स्तर 35% गिरा। 2023 तक यह गिरावट 60% तक पहुंच गई।
शिकागो विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस सुधार में अमेरिका को दशकों लगे, चीन ने वह कुछ ही सालों में कर दिखाया।
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क्या दिल्ली भी कर पाएगी ऐसा चमत्कार?
भारत सरकार ने 2019 में ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु नीति’ शुरू तो की, लेकिन बीजिंग जैसी सख्त और तेज कार्रवाई अभी दिल्ली में दिखाई नहीं देती। चूंकि दिल्ली और बीजिंग के हालात काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दिल्ली भी कड़े निर्णय लेकर अपनी हवा को जहरीली श्रेणी से बाहर निकाल पाएगी? बीजिंग ने ऐसे जीती प्रदूषण से जंग, क्या दिल्ली भी सीख पाएगी सबक?

