दीपिका कक्कड़ पर बेटी को छोड़ने का लगा आरोप, प्रेग्नेंसी में तनाव से बिगड़ी थी हालत
punjabkesari.in Monday, Mar 10, 2025 - 04:23 PM (IST)

नारी डेस्क: टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। हाल ही में, उन्होंने अपने प्रेग्नेंसी के दौरान हुए एक बेहद तनावपूर्ण अनुभव का खुलासा किया। दीपिका पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपनी बेटी को छोड़ दिया, जो उनके लिए बेहद दुखद और मानसिक रूप से परेशान करने वाला था। इस तनाव का उनके स्वास्थ्य और प्रेग्नेंसी पर गहरा असर पड़ा, जिससे उन्होंने समय से पहले प्री-मैच्योर बेबी को जन्म दिया। दीपिका ने बताया कि नकारात्मक आरोपों और ट्रोलिंग ने उनके मन में डर और चिंता पैदा कर दी, जिसका सीधा असर उनके शिशु की सेहत पर पड़ा।
आरोपों का बुरा असर
दीपिका कक्कड़ अपनी निजी जिंदगी को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं। एक बार उन पर बेटी को छोड़ने का आरोप लगाया गया था, जिसके बारे में दीपिका ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। वह उस समय प्रेग्नेंट थीं और यह आरोप उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहा था। उन्होंने बताया कि जब लोग उन पर ऐसे आरोप लगा रहे थे, तब उनका मन बहुत घबराया हुआ था और उन्हें डर था कि उनका होने वाला बच्चा भी ऐसे आरोपों का सामना करेगा।
तनाव का असर प्रेग्नेंसी पर
प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह का तनाव और नकारात्मकता महिला की शारीरिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है। दीपिका ने बताया कि इस तनाव के कारण उन्होंने 7 महीने में ही प्री-मैच्योर बेबी को जन्म दिया। गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की चिंता, तनाव या नकारात्मक बातें प्री-मेच्योर डिलीवरी का कारण बन सकती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को लगातार मानसिक तनाव का सामना करने से कार्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो शिशु के विकास को प्रभावित करता है। तनाव और चिंता की स्थिति के कारण महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज जैसी समस्याओं का भी सामना हो सकता है।
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इंफेक्शन का खतरा
नकारात्मक बातों और तनाव का असर केवल मानसिक स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। तनाव के कारण प्रेग्नेंट महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
शिशु की सेहत पर असर
नकारात्मक बातों का असर शिशु पर भी पड़ता है। गर्भवती महिला अगर मानसिक तनाव में रहती है, तो शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। डॉक्टर्स का मानना है कि मां का तनाव शिशु की हार्ट रेट में बदलाव का कारण बन सकता है, जिससे शिशु की सेहत पर असर पड़ता है।
इस प्रकार, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को मानसिक शांति और सकारात्मक माहौल की जरूरत होती है ताकि न सिर्फ उनका खुद का स्वास्थ्य, बल्कि उनके होने वाले बच्चे का स्वास्थ्य भी बेहतर रहे।