चेहरे का बुढ़ापा रोकने का अध्ययन शुरू, सौन्दर्य क्रीमों से ही हो रहे है चेहरे के रोग
punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2023 - 06:03 PM (IST)
जालंधर , 24 मई ( नरेन्द्र मोहन ): भविष्य में चेहरे पर बुढ़ापा नजर ना आए इसे लेकर अध्ययन चल पड़ा है ।दिलचस्प बात यह है कि अभी तक हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अधिकतर लोगों के चेहरे पर झुर्रियां आने का कारण मार्केट में इधर-उधर की मिल रही रंग गोरा करने वाली क्रीमें है। देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से चेहरे का अध्ययन करने वाली पहली मशीन वाले होम्योपैथिक डॉक्टर मुकेश बत्रा का कहना था कि वास्तव में अभी तक ऐसी कोई मशीन नहीं थी जो मुकम्मल चेहरे का अध्ययन कर सकें। पूरे चेहरे पर एक ही समस्या मानकर उपचार किया जा रहा था जिसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा था।
डा बत्रा ने बताए चेहरे की समस्याओं के कारण
एक बातचीत में डा बत्रा ने बताया कि चेहरे पर मुंहासे , झाइयां , काले धब्बे , सोरायसिस , पिगमेंटेशन, एक्जिमा इत्यादि के कारण विभिन्न रोग होते हैं, परन्तु इनमे से 30 प्रतिशत से अधिक त्वचा रोगी मार्केट में मिलने वाली रंग गोरा करने, झुर्रियां मिटाने वाली क्रीमों से ही हो रहे है। जबकि मुहांसे का रोग करीब 12 प्रतिशत लोगों तक पहुंच गया है। फास्ट फूड भी चेहरे की रंगत को गिराने और समस्या पैदा करने में एक फैक्टर है। देश और विदेशों में 150 से अधिक क्लिनिक और 300 डाक्टरों की टीम वाले डा. बत्रा के मुताबिक अभी तक चेहरे को डायग्नोज कर पाना ही संभव नहीं था कि चेहरे के किस हिस्से में कौन सा रोग है । चेहरे के एक हिस्से में रोग हो तो दवा सारे चेहरे पर लगाने की दी जाती रही है, जिसके साइड इफेक्ट भी लगातार बढे हैं। लेकिन आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से अब ये आसान हो गया है कि चेहरे के एक एक जोन की स्थिति को देखा जा सकता है और सिर्फ रोग वाले हिस्से का उपचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दक्षिण कोरिया से आयात की गई देश में ये पहलीमशीन दुनिया में पांचवी जनरेशन का एआई-पावर्ड स्किन एनालाइजर है। यह त्वचा की बीमारियों के सतह पर दिखने से पहले त्वचा के भीतर ही उनका पता लगा लेता है। उन्होंने कहा कि ये तो अभी पाइप लाइन में है कि चेहरे पर आती बुढ़ापे की निशानी झुरियों को कैसे रोका जाए , परन्तु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से इसे होने में भी देर नहीं लगने वाली ।