बसंत पंचमी 2025: शिव और सिद्ध योग में करें मां सरस्वती की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 06:06 PM (IST)
नारी डेस्क: बसंत पंचमी का महत्वमाघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन छात्र, कलाकार, संगीतकार और विद्या से जुड़े लोगों को विशेष रूप से सरस्वती पूजन करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का शुभारंभ होता है और इसी दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन पीले रंग का खास महत्व होता है और इसे विद्या और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
बसंत पंचमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी तिथि प्रारंभ: 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 मिनट से
बसंत पंचमी तिथि समाप्त: 3 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 मिनट तक
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:09 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:13 से 12:56 मिनट तक
अमृतकाल: रात 8:24 से 9:53 मिनट तक
इस साल बसंत पंचमी पर शिव और सिद्ध योग बन रहा है, जो इस दिन को और भी अधिक शुभ बनाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में रहेंगे, जो शुभ फलदायी माना जाता है।
सरस्वती पूजा की सामग्रीमां सरस्वती की पूजा करने के लिए निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें
सरस्वती पूजा के लिए मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र, गणेश जी की मूर्ति, पीला वस्त्र, पीली साड़ी, माला, गुलाल, रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन और केसर का उपयोग करें। साथ ही, आम के पत्ते, सुपारी, पान के पत्ते, दीपक, कपूर, धूप, गाय का घी, गंगाजल और तुलसी पत्ते भी पूजा में शामिल करें। भोग के लिए मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू और पीले फल अर्पित करें।
वाद्य यंत्र और किताबें (विद्यार्थियों के लिए)
सरस्वती पूजा विधि
सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें। मां सरस्वती की मूर्ति को पीले वस्त्र अर्पित करें। रोली, अक्षत, हल्दी, केसर, चंदन और पुष्प अर्पित करें। मां सरस्वती के समक्ष वाद्य यंत्र और किताबें रखें। धूप, दीप जलाकर मां सरस्वती का ध्यान करें और पूजा करें।
इस मंत्र का जाप करें
"या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।।" 'ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः' मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद मां सरस्वती को भोग अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें।
बसंत पंचमी की पौराणिक कथाकहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, तो उन्हें लगा कि संसार में कोई कमी है। तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथे हाथ में आशीर्वाद मुद्रा थी। यह देवी थीं मां सरस्वती। जब उन्होंने वीणा बजाई, तो संसार में मधुर ध्वनि गूंज उठी और हर जगह ज्ञान का प्रकाश फैल गया। तभी से इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।
बसंत पंचमी पर विशेष कार्य
इस दिन बच्चों के विद्या आरंभ संस्कार (अक्षर लेखन) की परंपरा होती है।
इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
घर में मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजा करनी चाहिए।
जरूरतमंदों को पीले रंग के वस्त्र और भोजन दान करें।
संगीत, कला और विद्या से जुड़े लोगों को अपने कार्यों की शुरुआत इस दिन करनी चाहिए।
बसंत पंचमी 2025 के इस शुभ अवसर पर मां सरस्वती की कृपा से सभी को विद्या, ज्ञान और सफलता प्राप्त हो!