बड़ों के अनुभव से ही सीखते हैं बच्चे...
punjabkesari.in Friday, Mar 06, 2020 - 12:38 PM (IST)
जीवन एक ऐसा चक्र है, जो हमारे सामने एक दिन जरुर खड़ा होता है और हमसे जवाब भी मांगता है। कई बार जवाब मांगने के साथ-साथ कुछ जवाब हमें देता भी है। इस दुनिया में आने वाला हर शख्स अपनी एक अलग पहचान रखता है। कोई उस पहचान को खास बना लेता है, और कोई खुद में ही गुम होकर रह जाता है। इस धरती पर एक इंसान की सबसे अच्छी और खास पहचान उसकी औलाद होती है। अब यह उस हर मां-बाप पर डिपेंड करता है कि वह इस पहचान को क्या रुप देना चाहता है...
हम ताउम्र बच्चों को कुछ न कुछ सीखाने की होड़ में लगे रहते हैं। मगर बच्चे आपके बोले गए वचनों पर अम्ल करने की बजाए, आपकी हरकतों से ज्यादा सीखते हैं। ऐसे में जरुरी है, बच्चों को सीखाने से पहले खुद अपने जीवन में ऐसी बातें लेकर आएं, ताकि आपको बच्चों को कुछ सीखाने की जरुरत पड़े ही न, वह खुद ब खुद आप जैसे बनते जाएं... आइए जानते हैं कैसे...
बच्चों को सीखाएं प्यार की कीमत
अक्सर हम जीवन में भागदौड़ में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि काम के चक्कर में प्यार कहीं भूल ही जाते हैं। हालांकि इस प्यार की जरुरत हमें सबसे ज्यादा होती है। बच्चों में प्यार की भावना भरने के लिए एक आसान तरीका है, उन्हें जितना हो सके स्पेशल फील करवाएं। आप जब भी ऑफिस से घर जाएं, तो सबसे पहले घर जाकर बच्चों से प्यार करें, उन्हें ग्ले लगाएं, उन्हें महसूस करवाएं कि आप उनके जीवन में कितनी एहमियत रखते हैं। ऐसा करने से आपके दिन भर की थकान भी मिनटों में दूर हो जाएगी।
पड़ोसियों की अहमियत
बच्चों के सामने अपने आस-पड़ोस के साथ हमेशा प्यार से बात करें। ऐसा करने से बच्चे समाज की कदर करेंगे, उन्हें मालूम होगा कि उनके आस पड़ोस के लोग उनके जीवन में कितनी एहमियत रखते हैं। इसी के साथ सड़क पर जाते वक्त गाड़ी में बैठे-बैठे दूसरे ड्राइवर लोगों से भी न झगड़े , वरना बड़ा होकर आपके बच्चे भी ऐसा ही करेंगे। फिर आपसे उनके गुस्से पर कंट्रोल पाना आसान नहीं होगा।
बुजुर्गों की एहमियत
अगर आप अपने माता-पिता से दूर किसी और शहर रहते हैं, तो हर रोज उनका पता लेने के लिए उन्हें फोन करें। फोन करते वक्त बच्चों की बात भी जरुर अपने दादा-दादी से जरुर करवाएं। ऐसा करने से जिस दिन आप खुद बूढ़े हो जाएंगे, तो आपके बच्चे भी दूर रहते हुए आपका ख्याल रखेंगे।
कुछ मोटीवेशनल बातें...
बच्चों के साथ कहीं घूमने जाएं, या फिर उन्हें स्कूल छोड़ते वक्त जरुरी नहीं गाड़ी में हर बार गाने ही लगाएं। इस दौरान बच्चों के साथ अपने कुछ अच्छे और बुरे स्कूल एक्सपीरिएंसिस शेय़र करें। ऐसा करने से आपके और बच्चों के बीच अच्छा रिश्ता कायम होगा। धीरे-धीरे बच्चा आपका दोस्त बनता जाएगा। इन्हीं सब के साथ बच्चों के सामने हमेशा तैयार और साफ-सुथरे बनकर रहें, यही आदत उनमें भी बरकरार रहेगी। बड़े होकर आपको उन्हें ड्रेसिंग सेंस सिखानी नहीं पड़ेगी।
कुछ रुलस भी जरुर करें फॉलो
माना कि आप पेरेंट्स हैं, आपका पूरा हक है कि आप बच्चों को डांटे, उनके रुम में बिना पूछें जाएं। मगर फिर भी अगर आप उनके रुम में दरवाजा नॉक करके जाएंगे तो यही आदत आगे चलकर वो भी जरुर फॉलो करेंगे।
खुद के अनुभव
गलती हर इंसान करता है, अगर बच्चे को समझने में कभी आपसे गलती हो जाए तो उसे अपनाने में झिझक महसूस न करें। ऐसा ही बच्चे भी आगे चलकर करेंगे। अगर आप अपनी गलती नहीं मानेंगे तो बच्चे भी आपसे आगे चलकर बहस बाजी करेंगे।
तो ये थे कुछ तरीके जिन्हें अपनाकर बिना कुछ कहे आप अपने बच्चों में अच्छे संस्कार भर सकते हैं।