पुराने जुकाम और एलर्जी का सिर्फ 1 आयुर्वेदिक इलाज
punjabkesari.in Monday, Feb 06, 2017 - 07:09 PM (IST)

नजले और एलर्जी होने के करण : पुराना जुकाम, छींके, नाक से पानी बहना, नाक बंद रहना या आंखों में खारिश आना और पानी बहना, गले में रेशा ये सब एलर्जी की निशानियां हैं। जब भी हमें किसी चीज से एलर्जी होती है तो हमारा शरीर उसके खिलाफ विरोधी तत्व बनाने लगता है जैसे कि जब धूल-मिट्टी के कण हमारे नाक की झीली से टकराते है तो हमारे नाक की झिली उसके उल्ट विरोधी तत्व बनाती है। जिस वजह से नाक में खारिस होती है। नाक की झिली लाल हो जाती है, नाक में से पानी बहने लगता है। पूरा दिन लगातार छिंके आती रहती है और नाक में रेशा आना शुरू हो जाता है।
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यह रेशा कानों की तरफ जाकर कानों में से तरह-तरह की आवाजें निकालने लगता है। बाद में यह रेशा गले में जाती है और गले की खराश का कारण बनती है। जिस वजह से गले की खांसी की वजह से मरीज को बार-बार रेशा थुकनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में कुछ मरीजों के नाक का मास भी बढ़ जाता है, जिस वजह से नाक बंद रहने लगती है।
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ऐसे मरीजों का सिर भारी रहने लगते है। वहीं यह रेशा आगे छाती में जाकर दमे का कारण बनती है, जिससे मरीज की छाती में रेशा बनने लगता है और छाती से आवाज आने लगती है। ऐसे केसेज में मरीज steroids ले रहे होते है, जिनका शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। कुछ मरीज ऐसे है, जो हर रोज पंप का साहरा लेते है लेकिन आज हम आपको बता दे कि इन सब बीमारियों का सिर्फ एक ही इलाज है कि सुबह उठकर अपनी नाक में देसी घी की 2-2 बूंदे डालें। ऐसा इसलिए क्योंकि देसी घी की वजह से एलर्जी के कण नाक की झिल्ली को छूं नहीं पाते। साथ ही जिस जगह से एलर्जी शुरू हुई होती है, उसी जगह से ठीक होने लगते है।
17 सालों से आरेग्यम आयुर्वेदिक अस्पताल के डॉक्टर रिरर्च कर रहे है। इन डॉक्टरों ने लाखों लोगों का बीमारी को इसी तरह से ठीक किया है और 80 प्रतिशत लोगों के पंप छूट गए है। यह अपने-आप में एक बहुत बड़ी उपल्ब्धी है।
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