'किसी में दम है तो बोले...सैनिक का ना कोई धर्म- ना जाति' शहीद जवान के भाई का भाषण सुन गूंजे 'जय हिंद' के नारे

punjabkesari.in Monday, Apr 28, 2025 - 05:29 PM (IST)

नारी डेस्कः 'सैनिक का कोई धर्म नहीं, किसी में दम है तो बोल दे भारतीय सेना हिंदू या मुस्लिम...' शहीद जवान की आखिरी विदाई में एक भाई ने ऐसा भाषण दिया कि वहां बैठे हर शख्स के अंदर देश भक्ति का जज्बा भर गया और भाषण ने हर किसी के दिल को झकझोर डाला। जम्मू-कश्मीर में उधमपुर जिले के डूडा बसंतगढ़ इलाके में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान  भारतीय सेना के जवान जे अली शेख शहीद हो गए। उन्हें पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में उनके पैतृक गांव में पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। बड़ी संख्या में लोग शहीद जवान के जनाजे में पहुंचे। इस दौरान उनके भाई रफीकुल शेख ने जो भाषण जिया वो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। 
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भारतीय सेना के वीर जवान झंटू अली शेख की शहादत ने पूरे गांव और परिवार को गमगीन कर दिया है। उनके भाई सूबेदार रफीकुल शेख, जो खुद भी भारतीय सेना में हैं, ने भाई को सुपुर्द-ए-खाक करने के बाद कहा कि आतंकवादियों ने झंटू अली पर पीछे से हमला किया। उन्होंने कहा कि अब हमारा मकसद भाई की शहादत का बदला लेना है, हम या तो बदला लेंगे या फिर अपनी जान दे देंगे। रफीकुल ने स्थानीय लोगों से अपील करते हुए कहा कि झंटू अली के दो छोटे बच्चे हैं, कृपया उनके भविष्य की देखभाल में मदद करें। भाई के बलिदान पर उन्होंने गर्व जताते हुए कहा कि दुख बहुत बड़ा है, लेकिन लाखों में से कुछ गिने-चुने लोगों को ही देश के लिए जान देने का मौका मिलता है। झंटू अली न केवल हमारे परिवार का, बल्कि पूरे नादिया जिले और बंगाल का भी गौरव बन गए हैं। उनकी यह शहादत हमेशा याद रखी जाएगी।
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भाई के जनाजे पर उन्होंने जोर देकर कहा, "हम सैनिक हैं, सैनिकों का कोई ना कोई धर्म होता और न जाति। किसी में अगर दम है तो बोल दे कि भारतीय सेना हिंदू या मुस्लिम है। सेना में कोई भेदभाव नहीं है। भारतीय सेना का कोई धर्म नहीं है। हम एक ही कटोरे में खाते-पीते हैं। भारतीय सेना एक ऐसी जगह है जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध एक ही थाली में खाते हैं और सभी को एक ही बर्तन में खाना बांटा जाता है। अगर किसी को भाईचारा देखना है तो फौज में जाकर देखो। तब पता चलेगा भाईचारा क्या होता है।"
 

अपने भाई के पदचिन्हों पर चलने की इच्छा जाहिर करते हुए सूबेदार रफीकुल ने कहा, 'मैं अपने भाई के बेटे और बेटी को सेना में भेजने का प्रयास करूंगा। मेरे लिए पहले देश है और फिर परिवार। मेरा कर्तव्य पहले देश के प्रति है। मेरी पहली प्राथमिकता देश सेवा को ही रहेगी।'
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अन्य लोगों को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हुए सूबेदार रफीकुल ने कहा कि अपने देश और उसकी सेना से प्यार करो। उन्होंने कहा, 'आपने सुना होगा कि कश्मीर में आतंकवादियों ने हिंदुओं को चुन चुनकर मारा। उन्हीं हिंदू भाइयों का बदला लेने के लिए मेरे भाई को सूचना मिली थी कि वादियों में दुश्मन छिपा हुआ है। भाई छोटी सी टुकड़ी लेकर हिंदू भाइयों की मौत का बदला लेने के लिए निकल पड़ा। इस दौरान जो भी हुआ वह सब ईश्वर को मंजूर था।' 
 

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गौरतलब है कि झंटू अली शेख इंडियन आर्मी के 6 पैरा स्पेशल फोर्स में हवलदार के पद पर तैनात थे। आगरा में उन्होंने पैरा कमांडो की ट्रेनिंग पूरी की थी। उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में सेना की व्हाइट नाइट कॉर्प्स में थी। पहलगाम हमले के बाद सेना को इनपुट मिला था कि जंगलों में कुछ आतंकवादी छिपे हैं। सुरक्षा बलों ने इस खुफिया सूचना के आधार पर सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें आतंकियों के साथ मुठभेड़ में झंटू अली शेख को गोली लगी और वह शहीद हो गए।


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Content Writer

Vandana

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