हवा में घुलता जहर बढ़ा रहा है ब्रेन ट्यूमर का खतरा: नई रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, जाने बचाव के तरीके
punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 12:21 PM (IST)

नारी डेस्क: हमारे आस-पास की हवा में जहरीली गैसें और प्रदूषण धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। हाल ही में हुई एक नई रिसर्च में यह सामने आया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। खासकर मेनिंजियोमा नामक ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित होने की संभावना ज्यादा होती है। इस अध्ययन ने यह साफ कर दिया है कि हवा में मौजूद जहरीले कण केवल फेफड़ों या दिल को नहीं, बल्कि मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मेनिंजियोमा क्या है?
मेनिंजियोमा ब्रेन ट्यूमर का सबसे आम प्रकार है, जो सामान्यतः कैंसर नहीं होता। लेकिन यह धीरे-धीरे बढ़ता रहता है और मस्तिष्क के आसपास के टिशू, नसों या रक्त वाहिकाओं को दबा सकता है। इस वजह से सिरदर्द, दृष्टि में समस्या, दौरे जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। यह ट्यूमर अक्सर कई सालों तक पता नहीं चलता और धीरे-धीरे मस्तिष्क में फैलता रहता है। मेनिंजियोमा का सटीक कारण अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ लोगों में इसके जोखिम ज्यादा होते हैं, जैसे बचपन में रेडिएशन का संपर्क, हार्मोनल बदलाव या कुछ जेनेटिक बीमारियां।
वायु प्रदूषण का ब्रेन ट्यूमर से संबंध
डेनमार्क के वैज्ञानिकों ने एक लंबे समय तक अध्ययन किया जिसमें उन्होंने पाया कि जो लोग लंबे समय तक ट्रैफिक, फैक्ट्रियों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषित हवा के संपर्क में रहते हैं, उन्हें मेनिंजियोमा ट्यूमर का खतरा अधिक होता है। खासकर वाहनों से निकलने वाले डीजल धुआं और अल्ट्राफाइन कणों का प्रभाव अधिक होता है। ये अल्ट्राफाइन कण इतने छोटे होते हैं कि वे फेफड़ों तक गहराई से पहुंच सकते हैं और फिर रक्त के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचकर वहां नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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अध्ययन के मुख्य तथ्य
यह रिसर्च लगभग 21 वर्षों तक चली और इसमें 40 लाख से ज्यादा लोगों का डेटा शामिल था। इस दौरान लगभग 16,600 लोगों में ब्रेन ट्यूमर का पता चला, जिनमें से 4,600 केस मेनिंजियोमा ट्यूमर के थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को ट्रैफिक से निकलने वाले अल्ट्राफाइन कणों के संपर्क में ज्यादा रहना पड़ा, उनमें इस ट्यूमर का खतरा खासा बढ़ गया।
वायु प्रदूषण से सेहत पर अन्य प्रभाव
पहले से ही यह माना जाता था कि वायु प्रदूषण फेफड़ों और दिल के लिए खतरनाक होता है, लेकिन अब यह शोध यह भी बताता है कि यह मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। अल्ट्राफाइन कण न केवल न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, बल्कि संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) ह्रास में भी योगदान कर सकते हैं।
बचाव के उपाय क्या हैं?
स्वच्छ हवा में रहें: जहां तक संभव हो, ऐसे इलाकों में रहें जहां वायु प्रदूषण कम हो।
मास्क का उपयोग करें: प्रदूषण वाले क्षेत्रों में हमेशा मास्क पहनें, खासकर ट्रैफिक और फैक्ट्री इलाकों में।
हरी-भरी जगहों का चयन करें: पेड़-पौधों से भरपूर इलाके हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: सही खान-पान और नियमित व्यायाम से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
स्वास्थ्य जांच कराते रहें: यदि आप लंबे समय से प्रदूषण वाले इलाके में रह रहे हैं तो नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें।
यह रिसर्च एक बड़ा चेतावनी संकेत है कि वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों और हृदय को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे मस्तिष्क को भी खतरे में डाल सकता है। इसलिए हमें स्वच्छ हवा की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे और अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा। प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाकर हम इस गंभीर खतरे को कम कर सकते हैं।
स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ हवा सबसे जरूरी है, इसलिए हमें मिलकर प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम करना होगा।