क्यों मनाया जाता है रमजान का महीना? जानिए 3 अशरों का महत्व

punjabkesari.in Saturday, Apr 02, 2022 - 05:03 PM (IST)

रमजान, रहमतों और बरकतों का महीना है। 13 अप्रैल से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है जो 12 मई को ईद के चांद के साथ खत्म होगा। इन 30 दिनों में मुसलमान खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, रमजान को 3 अशरों में बांटा जाता है, अरबी भाषा में जिसका मतलब 10वां नंबर हैं। ये तीनों अशरे अलग महत्व रखते हैं, जिसके बारे में आज हम आफको बताएंगे।

रमजान के महीने का महत्व

कहा जाता है कि इस महीने में जितनी हो सकते उतनी गरीबों की मदद करनी चाहिए। इबादत से राजी होकर खुदा बेपनाह रहमतें बरसाता है। पवित्र कुरान में लिखा गया है कि अल्लाह ने पैगम्बर साहिब को रमजान के पवित्र महीने में ही अपना दूत चुना था। रमजान में मन को शुद्ध रखना बहुत जरूरी है। तभी रोजा पूरा होता है। इसके साथ ही रोजा रखने के दौरान व्यक्ति का पूरी तरह से अपने मन पर संयम रखना जरूरी है। रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना। रोजा रखने के लिए मुस्लिम लोग रोज सूरज उगने से पहले सहरी और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं और यह क्रम पूरे महीने चलता है।

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रमजान का पहला अशरा

रमजान महीने के पहले अशरे यानि 10 दिनों को 'रहमतों का दौर' बताया गया है, जिसमें रोजा रखने वाले नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। साथ ही सभी मुसलमानों को अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों व जरूरतमंदों को दान आदि देते हैं।

रमजान का दूसरा अशरा

रमजान महीने के दूसरे अशरे यानि अगले 10 दिनों को  'माफी का दौर' कहा जाता है, जिसमें सभी मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस्लामिक धर्म के अनुसार, खुदा दूसरे अशरे पर नेक बंदों पर बहुत मेहरबान होता है और उनकी गलतियों को माफ कर देता है।

रमजान का तीसरा अशरा

रमजान महीने का तीसरा अशरे यानि आखिरी 10 दिनों को 'जहन्नुम से बचाने का दौर' कहा जाता है। इस अशरे को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, जिसमें सभी जहन्नम से बचने के लिए दुआ करते हैं।

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ईद के चांद से खोलते हैं रोजा

आखिरी अशरे के बाद यानि रमजान महीने के 29 वें या 30 में दिन ईद उल-फ़ित्र (Eid al-Fitr)  मनाई जाती है जो इस बार 13 मई को है। यह मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है, जिस दिन वो सेवइयां बनाते हैं। इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार, इस महीने में जहन्नुम के दरवाजे बंद और जन्नत के खुल जाते हैं।


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Content Writer

Anjali Rajput

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