श्रीकृष्ण के Billionaire भक्त, फोर्ड कंपनी के मालिक अलफ्रेड फोर्ड कैसे बने अम्बरीष दास

punjabkesari.in Wednesday, Aug 12, 2020 - 04:44 PM (IST)

भगवान श्रीकृष्ण के भक्त देश में ही नहीं विदेश में है जिनकी भक्ति भावना हर किसी को मंत्रमुक्त कर देती हैं। मगर आज हम आपको श्रीकृष्ण जी के एक ऐसे भक्त से मिलवाने जा रहे हैं जो दुनिया के सबसे ऊंचे गुंबद वाला कृष्‍ण मंदिर बनाने का सपना लेकर विदेश से भारत आए। हम बात उसी फोर्ड कंपनी के मालिक अलफ्रेड फोर्ड की कर रहे हैं जिसकी गाड़ियां खरीदना सिर्फ भारतीय ही नहीं विदेशी भी शान की बात समझते हैं। उसी कंपनी के मालिक अलफ्रेड फोर्ड अपने करोड़ों का कारोबार छोड़कर भारत आए सिर्फ यह सपना लेकर कि वो दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर बनाएंगे। चलिए जानते हैं कैसे फोर्ड कंपनी का मालिक बन गया भारत का निवासी....

अलफ्रेड फोर्ड भारत में बनवा रहे श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर

इससे पहले आपको बता दें कि अल्फ्रेड फोर्ड जिस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं जिसका निर्माण कार्य 2010 में पश्चिम बंगाल के मायापुर में शुरू हुआ था। मंदिर का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। अब 2022 में यह मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। इसका नाम मायापुर चंद्रोदय मंदिर यानी टैंपल ऑफ वैदिक प्लैनिटेरियम रखा गया है। मंदिर की खासियत है कि यह 370 फुट ऊंचा मंदिर हैं।

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श्रीकृष्ण मंदिर के लिए दान किए 250 करोड़

बता दें कि इस मंदिर के लिए फोर्ड ने करीब 250 करोड रुपए दान किए है जबकि बाकी की रकम चंदे से इकट्ठा की गई। मंदिर को बनाने का मकसद दुनिया भर में वैदिक संस्कृति और ज्ञान का प्रसार करना है। 380 फीट ऊंचे इस मंदिर में विशेष ब्लू बोलिवियन संगमरमर का इस्तेमाल किया गया जोकि मंदिर में पश्चिमी वास्तुकला को दिखाता हैं। इसमें हर मंजिल एक लाख वर्ग फुट होगी, साथ ही मंदिर में सबसे बड़ी गुंबद बनी है। यह मंदिर पूर्व और पश्चिम का मिश्रण है। मंदिर में 20 मीटर लंबा वैदिक झूमर लगाया जाएगा। कहा जाता है कि मंदिर की एक मंजिल में एक बार में 10,000 से अधिक श्रद्धालु बैठ सकते हैं।

अलफ्रेड फोर्ड कैसे बने अम्बरीष दास

चलिए अब बात करते हैं अल्फ्रेड फोर्ड यानी अम्बरीष दास की पर्सनल लाइफ की.... अलफ्रेड का जन्म 22 फरवरी 1950 में अमेरिका के डेट्रॉइट में हुआ था। अलफ्रेड फोर्ड, फोर्ड मोटर कंपनी के फाउंडर हेनरी फोर्ड के पोते हैं और इस समय कंपनी के बोर्ड में हैं। वर्ष 1975 में अल्फ्रेड इस्‍कॉन से जुड़े जिसके बाद वह प्रभुपद के साथ भारत आए। भारत आने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया और फिर अपना नाम बलदकर अम्बरीष रख लिया। अल्फ्रेड तमाम ऐशों आराम को छोड़कर कृष्ण के रंग में रंग चुके हैं। उन्होंने कृष्ण भक्ति के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

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हमेशा अपने पास एक पोटली रखते हैं अलफ्रेड फोर्ड

बता दें कि अल्फ्रेड दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना हो, मगर उनके पास एक छोटी पोटली जरूर होती हैं जिससे वो कृष्ण के नाम का जाप करते हैं। अल्फ्रेड फोर्ड ने शादी की एक भारतीय लड़की से की जिनका नाम शर्मिला फोर्ड हैं। उनकी दो बेटियां हैं- अमृृृता फोर्ड और अनीशा फोर्ड। बता दें कि अल्फ्रेड ने यहीं पर अपना घर बनवाया हैं जहां वो अपनी फैमिली के साथ रहते हैं। इस तरीके से मायापुर अल्फ्रेड फोर्ड का सैकंड होम बन चुका है।

श्रीकृष्ण भक्त हैं अलफ्रेड फोर्ड

1975 में एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद से मिलकर इस्कॉन ज्वाइन करने के बाद उनके जीवन का हर पल कृष्ण के नाम का जाप करते हुए गुजरा। आध्यात्मिकता की ओर अपने रूझान पर अल्फ्रेड ने कहा था कि मैंने जीवन लिया, तमाम भौतिक सुखों में लिप्त था जब मैंने जन्म लिया। वहां सबकुछ था लेकिन मुझे लगता था कि भीतर से कुछ खाली है, बेहद खाली है। मैंने उस मिसिंग लिंक को पाने के लिए खोज शुरू की और कृष्ण के जरिए उसे खोज निकाला। जब अल्फ्रेड भारत आए तो वह काफी खुश हुए। उनका कहना है कि ये देश, ये राज्य बहुत सुंदर हैं।

मंदिर बनवाने के लिए भारत आकर बस गए अलफ्रेड

फोर्ड कंपनी के बोर्ड में होने के अलावा वो इस्कॉन प्रोजेक्ट और टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम के चेयरमैन हैं। उन्होंने हवाई में पहले कृष्ण मंदिर के निर्माण में मदद की। इसके बाद उन्होंने डेट्रायॅट में भगवद गीता कल्चरल सेंटर के लिए 500,000 डॉलर दिए। रूस की राजधानी मॉस्को में वैदिक कल्चरल सेंटर के लिए भी फोर्ड ने आर्थिक मदद की है। होनोलुलु में हरे कृष्णा मंदिर और लर्निंग सेंटर के लिए 600,000 अमेरिकी डॉलर से एक महल खरीदा था। अल्फ्रेड फोर्ड ने भगवान श्री कृष्ण का सबसे ऊंचा मंदिर बनाने के मिशन शुरू किया जिसका कुल बजट लगभग 800 करोड़ का है। इसी मंदिर को बनाने के लिए वो भारत आकर बस गए और यहीं के होकर रह गए।

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Content Writer

Sunita Rajput

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