लंदन अब नहीं रहा अमीरों का पसंदीदा शहर: 300 साल पुरानी विरासत बेच छोड़ रहे रईस
punjabkesari.in Thursday, Jul 24, 2025 - 04:05 PM (IST)

नारी डेस्क: लंदन कभी दुनिया के सबसे अमीर लोगों का ठिकाना कहलाने वाला लंदन अब उनके लिए बोझ बनता जा रहा है। टैक्स के भारी दबाव, ब्रेक्सिट की मार, आर्थिक गिरावट और बेहतर विकल्पों के चलते लंदन से अमीरों का तेजी से पलायन हो रहा है। हाल ही में अरबपति शिपिंग टायकून जॉन फ्रेडरिकसन ने लंदन को अलविदा कह दिया है। वे अब UAE (संयुक्त अरब अमीरात) में शिफ्ट हो रहे हैं और लंदन स्थित अपनी 300 साल पुरानी प्रॉपर्टी भी बेच रहे हैं। उनसे पहले अरबपति क्रिश्चियन एंगरमेयर और एस्टन विला क्लब के मालिक नासेफ साविरिस भी लंदन छोड़ चुके हैं।
क्यों अमीर छोड़ रहे हैं लंदन?
भारी टैक्स का दबाव ब्रिटेन में दुनिया के सबसे ऊंचे टैक्स रेट हैं। एस्टेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स, और इनकम टैक्स जैसी व्यवस्थाओं से अमीर तबका परेशान है। इसके उलट, दुबई, पेरिस, जेनेवा और सिंगापुर जैसे शहर टैक्स में छूट और बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं। ब्रेक्सिट की चोट यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद लंदन की ग्लोबल पकड़ कमजोर हो गई है। अब यूरोपियन मार्केट तक सीधी पहुंच पहले जैसी आसान नहीं रह गई है। आर्थिक कमजोरी और पाउंड की गिरावट ब्रिटेन की इकोनॉमी 2008 के वित्तीय संकट के बाद से पूरी तरह नहीं संभल सकी। पाउंड की कीमत में गिरावट और लंदन स्टॉक एक्सचेंज का 11वें स्थान तक गिर जाना भी इसकी मिसाल है।
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टेक्नोलॉजी हब का पलायन नए जमाने की तकनीकी कंपनियां और स्टार्टअप अब अमेरिका, सिंगापुर और मिडल ईस्ट जैसे बाजारों की तरफ बढ़ रहे हैं। सिलिकॉन वैली और दुबई जैसे टेक-हब लंदन को पीछे छोड़ चुके हैं।
कभी अमीरों का हॉटस्पॉट था लंदन
लंदन एक समय में अरबपति निवेशकों, बैंकरों और प्रॉपर्टी टायकून की पहली पसंद हुआ करता था। उच्च गुणवत्ता की शिक्षा, स्टार्टअप इकोसिस्टम, और मजबूत वैश्विक नेटवर्क के कारण कई पीढ़ियों से अमीर परिवार यहां बसे थे। लेकिन अब वो समय बदल चुका है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 11,300 मिलियनेयर लंदन छोड़ चुके हैं। और 2025 तक अरबपतियों की संख्या घटकर सिर्फ 36 रह सकती है, जबकि पिछले साल यह 89 थी।
अब लंदन धीरे-धीरे अपनी अमीरों की राजधानी वाली छवि खोता जा रहा है। जबकि न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस, दुबई, सिंगापुर जैसे शहर तेजी से उनकी जगह ले रहे हैं।
अब सवाल यह है क्या ब्रिटेन अपनी आर्थिक और कर व्यवस्था में बदलाव लाकर अमीरों को दोबारा लंदन की ओर खींच पाएगा?