लड़का-लड़की में फर्क ये कैसा? (Pics)

punjabkesari.in Thursday, Sep 15, 2016 - 06:22 PM (IST)

जमाना भले ही कितना भी मॉडर्न क्यों न हो गया हो लेकिन आज भी हमारे समाज में लैंगिक समानता यानि लड़का-लड़की का फर्क देखने को मिलता है। कई जगहों पर महिलाओं की दशा इतनी बुरी है कि हर औरत यह पूछने पर मजबूर है कि क्या हमारी दशा कभी नहीं सुधरेगी? क्या हमें कब खुली हवा में सांस लेने का मौका दिया जाएगा? जन्म लेते ही पिता के अधीन, फिर पति की, बुढ़ी और विधवा होने के बाद बेटे के अधीन रहना पड़ता है। क्या किसी भी परिस्थिति में उसे खुद को स्वतंत्र रखने का हक नहीं है? 


आज भी घर में कुछ गलत हो जाए तो सबसे पहले औरत को ही दोषी माना जाता है। खाना जल्दी नहीं बना तो, लड़की पैदा कर दी तो, बर्तन साफ नहीं किए तो, ससुराल में खुलकर बोली तो, बच्चा कोई गल्त काम कर दें तो पहले इसके लिए महिला को ही जिम्मेदार माना जाता है लेकिन ऐसा क्यों? आवाज उठाने पर कभी-कभार तो घर में उसके साथ हिंसा होती है। उसकी आवाज को वहीं दबा दिया जाता है लेकिन क्या यह सहीं है? क्या उसे खुद की मर्जी से जीने का हक नहीं है?


लड़कियों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है। लज्जा की बात तो यह है कि उसे खत्म करने के पीछे कई बार औरत का ही हाथ होता है। अगर एक औरत ही दूसरी औरत को जन्म देने के हक में नहीं हैं तो दूसरों की नजरों में एक औरत का वजूद तो गायब होगा ही। महिलाओं को भी समाज में उतने ही अधिकार मिलने चाहिए जितने पुरुषों को दिए जाते हैं और ऐसा तभी संभव है जब हम सब मिलकर अपनी सोच को बदलेंगे। सिर्फ एक शख्स के बदलने से कुछ नहीं होगा। सभी को एकजुट होकर ही काम करना पड़ेगा तभी सफलता मिलेगी।


लड़का-लड़की में भेदभाव करना बंद करें

जब तक आप लड़का-लड़की को सामान नहीं समझेंगे तब तक समाज भी उन्हें इन्हीं नजरों से देखेंगा। हाल ही में करीना कपूर खान ने इसी बात का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गर्भवती होने की वजह से वह कहीं भी जाती हैं तो उन्हें यह बात सबसे पहले पूछी जाती है कि आप लड़का चाहती हैं या लड़की। यह बातें उन्हें परेशान करती हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह भी एक लड़की हैं और उन्होंने कहा कि शायद एक बेटे से ज्यादा बढ़कर उन्होंने अपने माता-पिता का साथ दिया है। 


शिक्षा है पहला समाधान

सबसे पहले तो लड़कियों को पढ़ाना बहुत जरूरी है। अगर आप यह सोच रखते हैं कि लड़कियां सिर्फ घर संभाल सकती हैं और ज्यादा पढ़ना जरूरी नहीं है तो इस तरह की सोच को बदलें। उन्हें भी शिक्षा प्रदान करवाए ताकि वह आत्मनिर्भर हो जाए और शान से सिर उठाकर समाज में चलें। 


सोच को विकसित करें

हर काम को करने के लिए आपकी सकारात्मक सोच होना बहुत जरूरी है। सोच को बदलें। लड़की को किसी के कम ना समझें। आज खेल जगत हो या शिक्षा का स्थान, हर जगह महिलाओं ने अपनी जीत का ढंका बजाया है। 


अक्सर शादी के बाद लड़कियों को पूछा जाता है कि वह नौकरी करेंगी या नहीं।मां बनने  पर भी उससे इस बात के प्रश्न किए जाते हैं कि क्या आप अभी भी काम करना चाहती हैं। आपको तो अब बस घर संभालना चाहिए। इस तरह के बेतुके सवाल पूछने बंद करने चाहिए। शादी होने या मां बनने का उसका जीवन रुक नहीं जाता। आज के युग में सिर्फ लड़के ही नहीं लड़कियां भी अपने मां बाप के बुढ़ापे का सहारा बनने में सक्षम हैं। उन्हें बोझ ना समझें। उन्हें उनकी उड़ान के पंख दें ताकि वह आजादी से उड़ सकें। 


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Content Writer

Vandana

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