"सूरज उगने से पहले जाती है शोचालय, नहाने में भी आती है शर्म..." बाढ़ से बेघर हुई महिलाओं ने सुनाया अपना दर्द
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 06:33 PM (IST)

नारी डेस्क: दिल्ली के मयूर विहार बाढ़ राहत शिविर में, कई महिलाएं - जिनमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं - सूर्योदय से बहुत पहले उठ जाती हैं। यह उनकी अपनी मर्ज़ी से नहीं, बल्कि मजबूरी से होता है। बहुत कम शौचालय उपलब्ध होने के कारण, वे शौच के लिए एकांत स्थान तक पहुंचने के लिए एक लंबा और ऊबड़-खाबड़ रास्ता तय करती हैं।
26 वर्षीय रमा, जो अपने पहले बच्चे के साथ आठ महीने की गर्भवती हैं, ने बताया- "यह मेरी पहली गर्भावस्था है और हालांकि यह किसी भी महिला के लिए एक कठिन दौर होता है, लेकिन शिविर में शौचालयों की कमी ने इसे और भी कठिन बना दिया है। हम में से लगभग सभी अंधेरे में शौच के लिए जल्दी उठती हैं ताकि कोई हमें देख न सके।हमें काफ़ी दूर तक चलना पड़ता है और रास्ता ऊबड़-खाबड़ है। मैं हर सुबह बहुत सावधानी से चलती हूं, इस चिंता में कि अगर मैं लड़खड़ा गई तो क्या होगा। और एक बार ऐसा करने के बाद, मैं अगली सुबह तक खुद को रोके रखती हूं।
मधु (17) ने भी ऐसी ही चिंताएं साझा करते हुए कहा- "मैं अपनी मां से कहती हूं कि मुझे बाहर जाने में शर्म आती है, लेकिन वह कहती हैं कि हम और कुछ नहीं कर सकते। काश यहां ढंग के शौचालय होते ताकि हम सम्मान से रह सकें। और यह एक-दो दिन की बात नहीं है, हमें आने वाले हफ़्तों तक यहां रहना है।"
प्रीति (25) ने कहा कि नहाना भी आसान नहीं है, उन्होंने कहा- "हम अपने कैंपों के अंदर ही नहाते हैं और आस-पास से गुज़रने वालों की नज़रों से बचने के लिए कुछ अस्थायी कवर लगा लेते हैं। यह अपमानजनक है, लेकिन कोई और विकल्प नहीं है," । जब मैं आठ महीने की गर्भवती , हूं तो कपड़े बदलना बहुत मुश्किल होता है। जहाँ दूसरे लोग जल्दी से नहाकर अपने कपड़े पहन लेते हैं, वहीं मुझे इससे बहुत परेशानी होती है। मैं आस-पास की महिलाओं से मदद मांगती हूं, लेकिन वे भी परेशान और व्यस्त होती हैं," ।