वृंदावन फार्म हाउस के लिए गायत्री ने अमेरिकन नौकरी छोड़ दी जानिए क्या खासियत है इसकी?
punjabkesari.in Wednesday, Sep 30, 2020 - 03:02 PM (IST)
लोग, सेहत को लेकर सजग होना शुरु हो गए हैं इसीलिए तो आर्गेनिक चीजों की डिमांड भी बढ़ रही है। लोग घरों में छोटे-छोटे गार्डन बना आर्गेनिक फूड्स उगा रहे हैं बसी इसी आर्गेनिक चीजों की चाह में किसी ने अमेरिका की अच्छी खासी नौकरी को लात मार दी और आर्गेनिक खेतीबाड़ी करनी शुरू कर दी जी हां, वो कोई और नहीं एक महिला किसान गायत्री भाटिया हैं जिन्होंने अपनी चाह को बिजनेस का रुप भी दे दिया। जी हां, आज उनके उगाए आर्गेनिक सामान की कई होटल्स व रेस्तरां में डिमांड है। चलिए बताते हैं गायत्री का खेती बाड़ी करने का सफर कैसे शुरु हुआ।
10 एकड़ के फार्म हाऊस 'वृंदावन' से शुरु किया खेतीबाड़ी का सफर
मुंबई से करीब 3 घंटे की दूरी पर उनका एक फार्म हाऊस हैं वृंदावन, जहां वह अपनी 10 एकड़ जमीन पर फल सब्जियों के साथ कुछ औषधीए पौधे उगाती हैं।
बोस्टन में पर्यावरण विश्लेषक की नौकरी छोड़ अनुभव से की नई शुरुआत
करीब एक दशक पहले, गायत्री बोस्टन में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी में बतौर पर्यावरण विश्लेषक का काम कर रही थी लेकिन उन्होंने अपनी जमीन पर खेती बाड़ी करने की सोची।
जानिए उनके फार्महाउस 'वृंदावन' की खासियत क्या है?
जब वह आई थी तो उनके बाग में आम के सात किस्मों के 500 पेड़ लगे थे। इसके अलावा कुछ नारियल, काजू और काली मिर्च के पेड़ पौधे थे लेकिन आज उनके फार्म हाउस में केला, पपीता, शहतूत, चीकू, अनानास, कटहल, जंगली जामुन आदि भी उगाए जाते हैं। वहीं गायत्री मसाले जैसे हल्दी, काली मिर्च, अदरक व कद्दू टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियां आदि भी उगा रही हैं। आज वह एक सफल ऑर्गेनिक किसान और उद्यमी हैं।
एक नामी वेबसाइड को गायत्री ने इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अपने वर्षों के अनुभव से यह एहसास हुआ कि वह खुद और पर्यावरण के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं जिसके लिए बदलाव की बहुत जरूरत है। दरअसल भागदौड़ की जिंदगी में हम प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं इसलिए उन्होंने खुद में बदलाव लाने से ही शुरुआत की।
गायत्री के फार्म हाउस में किसी भी तरह का केमिकल उत्पाद नहीं
गायत्री के फार्म हाउस में किसी तरह का केमिकल उत्पाद नहीं किया जाता। उन्होंने बताया कि वह देसी बीजों का संरक्षण भी करती हैं हालांकि अधिक फसल के लिए लोग संशोधित बीजों पर निर्भर है लेकिन यह बीज कैमिकल कीटनाशक पर ही निर्भर होते हैं जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को भी देसी बीजों के संरक्षण की ओर जागरूक होने की जरूरत हैं।
कांच के जार में करती हैं देसी बीजों का संरक्षण
उन्होंने बताया कि वह मौसम चक्र के अनुसार ही सब्जियां फल उगाती हैं ताकि उनकी उपलब्धता बनी रहे। वह कांच के जार में बीजों का संरक्षण करती हैं और उन्हें छोटे किसानों के साथ सांझा भी करती हैं। गायत्री ने बताया कि वह और 9 श्रमिक मिलकर सारा काम करते हैं। अब आगे उनका लक्ष्य चावल और मूंग के उत्पाद को बढ़ावा देना है।