मौत के बाद फिर से धड़क सकता है दिल? जानिए इस रहस्यमयी बीमारी के बारे में!
punjabkesari.in Saturday, Mar 22, 2025 - 10:27 AM (IST)

नारी डेस्क: क्या आपने कभी सुना है कि कोई इंसान मरने के बाद अचानक फिर से जिंदा हो जाए? यह सुनने में भले ही चमत्कार जैसा लगे, लेकिन मेडिकल साइंस में इसे लजारस सिंड्रोम (Lazarus Syndrome) कहा जाता है। यह एक बेहद दुर्लभ घटना है, जिसमें मृत घोषित किए गए मरीज का दिल अचानक से फिर से धड़कने लगता है और वह कुछ समय के लिए जीवित हो जाता है। इस सिंड्रोम के पीछे के कारण अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, लेकिन इसके बारे में कई रहस्यमयी पहलू हैं, जो आज भी चिकित्सा विज्ञान के लिए एक पहेली बने हुए हैं। तो आइए जानते हैं इस अद्भुत और चौंकाने वाली घटना के बारे में!
लजारस सिंड्रोम क्या है?
लजारस सिंड्रोम को "ऑटोरेससिटेशन" (Autoresuscitation after Failed Cardiopulmonary Resuscitation) भी कहा जाता है। यह तब होता है जब किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक के बाद CPR (कार्डियोपल्मोनरी रीससिटेशन) देने की कोशिश की जाती है, लेकिन जब CPR असफल हो जाती है और डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देते हैं, तब कुछ समय बाद वह व्यक्ति अचानक से फिर से जिंदा हो जाता है। इसे "लजारस ऑफ़ बेथनी" के नाम पर रखा गया है, जो बाइबिल में एक घटना है, जहां ईसा मसीह ने चार दिन बाद एक मृत व्यक्ति को फिर से जीवित किया था।
क्या आपने कभी सुना है कि कोई इंसान मरने के बाद अचानक फिर से जिंदा हो जाए? यह सुनने में भले ही चमत्कार जैसा लगे, लेकिन मेडिकल साइंस में इसे लजारस सिंड्रोम (Lazarus Syndrome) कहा जाता है।#LazarusSyndrome #medical #death pic.twitter.com/9lMZDpqlNS
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लजारस सिंड्रोम के कारण
इस सिंड्रोम के पीछे के कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, लेकिन कुछ संभावित कारणों का अनुमान लगाया गया है:
CPR के दौरान एयर प्रेशर
जब CPR दी जाती है, तो फेफड़ों में हवा फंस सकती है। जब मेडिकल टीम CPR देना बंद कर देती है, तो यह हवा धीरे-धीरे बाहर निकलती है, जिससे दिल पर दबाव कम हो सकता है और वह फिर से धड़कने लगता है।
ब्लड सर्कुलेशन की धीमी रिकवरी
कुछ मामलों में CPR के बाद शरीर के रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) को सामान्य होने में वक्त लगता है। जब यह धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटता है, तो दिल फिर से काम करने लगता है।
पोटेशियम असंतुलन
शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे पोटेशियम) का असंतुलन दिल की धड़कन को प्रभावित कर सकता है। यदि पोटेशियम का स्तर ज्यादा या कम हो जाता है, तो इससे दिल की धड़कन में बदलाव आ सकता है और कुछ समय बाद दिल फिर से धड़कने लगता है।
दवाइयों का असर
कुछ दवाइयां, खासतौर पर एड्रेनालाईन या अन्य कार्डियक दवाएं, हार्ट फेल होने के बाद भी असर दिखा सकती हैं। इन दवाओं के कारण दिल को फिर से सक्रिय होने में मदद मिल सकती है।
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राजस्थान में लजारस सिंड्रोम का एक ताजा मामला
हाल ही में राजस्थान के झुंझुनू जिले में इस घटना का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया। रोहिताश नामक युवक की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसे मृत घोषित कर दिया गया। जब उसका अंतिम संस्कार करने के लिए उसे चिता पर रखा गया, तब उसकी आंखें खुल गईं और वह सांस लेने लगा। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन कुछ घंटों बाद उसकी फिर से मृत्यु हो गई। इस घटना ने सभी को हैरान कर दिया और इसने लजारस सिंड्रोम की चर्चा को और भी तेज कर दिया।
लजारस सिंड्रोम से बचाव
लजारस सिंड्रोम एक दुर्लभ घटना है, लेकिन इसे लेकर कई सवाल उठते हैं कि इससे बचने या इसे रोकने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं। इस सिंड्रोम का मुख्य कारण मृत्यु के बाद की परिस्थितियां होती हैं, विशेष रूप से CPR और हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थितियों में। इस स्थिति से बचाव के लिए कुछ सुझाव और उपाय निम्नलिखित हैं:
1. CPR और मेडिकल प्रोफेशनल्स की सही ट्रेनिंग: CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) एक महत्वपूर्ण आपातकालीन प्रक्रिया है, जो दिल की धड़कन रुकने के बाद की जाती है। इसका सही तरीके से किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। मेडिकल प्रोफेशनल्स और सामान्य लोगों को CPR की सही ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में प्रभावी ढंग से मदद की जा सके।
2. सही समय पर निदान और इलाज: लजारस सिंड्रोम तब होता है जब व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया जाता है, जबकि उसकी स्थिति को सही से नहीं समझा गया होता। सही समय पर मेडिकल जांच और निदान करना ज़रूरी है, ताकि व्यक्ति को जल्दी से जीवन रक्षक इलाज मिल सके।
3. विकसित तकनीकी उपकरणों का उपयोग: अगर मरीज को गंभीर हृदय संबंधी समस्या हो, तो आधुनिक तकनीकी उपकरणों जैसे कि EKG (Electrocardiogram), ECG मॉनिटरिंग, और अन्य जीवन रक्षक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि दिल की स्थिति सही से ट्रैक की जा सके और उपचार में कोई चूक न हो।
4. Medical देखभाल: मरीज की स्थिति पर नज़र रखना और उसकी जीवन रक्षक देखभाल को सही तरीके से प्रबंधित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए अस्पतालों में पूर्ण चिकित्सकीय देखभाल की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक असंतुलन से बचा जा सके।
5. पोटेशियम और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की रोकथाम: पोटेशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन भी दिल की धड़कन को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, किसी भी मरीज को अस्पताल में लाते समय उनका इलेक्ट्रोलाइट्स लेवल चेक करना और सही दवाइयों के जरिए उनका संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
लजारस सिंड्रोम एक बहुत ही दुर्लभ और रहस्यमय घटना है। इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, लेकिन इसे एक चमत्कार माना जाता है। हालांकि, इसमें कुछ संभावित कारणों की चर्चा की गई है, जैसे CPR के दौरान हवा का दबाव, रक्त सर्कुलेशन की धीमी रिकवरी, पोटेशियम असंतुलन और दवाओं का असर। यह घटना चिकित्सा विज्ञान के लिए एक पहेली बनी हुई है, जिसे समझने के लिए और शोध की आवश्यकता है।