नवरात्रि में क्यों नहीं खाया जाता लहसुन-प्याज?
punjabkesari.in Monday, Sep 22, 2025 - 05:53 PM (IST)

नारी डेस्क: हर साल नवरात्रि आते ही घर-घर में व्रत, पूजा और सात्विक जीवनशैली की शुरुआत हो जाती है। लोग मांस-मछली, शराब, प्याज और लहसुन जैसे तमाम चीजों से दूरी बना लेते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि लहसुन और प्याज, जो आम दिनों में स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं, उन्हें नवरात्रि जैसे पवित्र पर्व पर क्यों वर्जित माना जाता है? क्या इसके पीछे सिर्फ धार्मिक मान्यता है या फिर कोई और गहरा कारण भी है? आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि नवरात्रि में प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाया जाता और इसका राक्षसों से क्या कनेक्शन है।
प्याज-लहसुन का तामसिक स्वभाव
हिंदू धर्म में भोजन को तीन भागों में बांटा गया है सात्विक, राजसिक और तामसिक। सात्विक भोजन मन को शांत, शरीर को हल्का और ऊर्जा से भरपूर बनाता है। राजसिक भोजन शरीर को उत्तेजित करता है, लेकिन मन को अशांत कर सकता है। तामसिक भोजन, जिसमें प्याज-लहसुन भी आते हैं, शरीर में आलस्य, क्रोध और वासना जैसी भावनाएं बढ़ा सकता है। नवरात्रि के दौरान जब हम देवी की पूजा करते हैं और खुद को मानसिक व शारीरिक रूप से शुद्ध रखने की कोशिश करते हैं, तब तामसिक चीजों का सेवन व्रत के प्रभाव को कम कर सकता है। इसलिए प्याज और लहसुन से परहेज़ किया जाता है।
राक्षसी उत्पत्ति की मान्यता
कुछ पुरानी पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तब अमृत पाने के लिए राक्षसों ने भी छल किया था। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर राक्षसों को अमृत देने से रोक दिया। परंतु दो राक्षस राहु और केतु ने अमृत पी लिया था, जिसे बाद में भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से काट दिया। ऐसा कहा जाता है कि राहु और केतु के कटे हुए शरीर के हिस्सों से ही प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई थी। इसी वजह से इन्हें राक्षसी उत्पत्ति का माना गया है और पवित्र अवसरों पर इनका सेवन वर्जित समझा जाता है।
व्रत के दौरान शरीर को हल्का और शांत रखना जरूरी
नवरात्रि के व्रत केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं होते, बल्कि यह एक प्रकार की शुद्धि प्रक्रिया भी होती है शरीर, मन और आत्मा की। प्याज-लहसुन खाने से शरीर में गर्मी और उत्तेजना बढ़ती है, जिससे ध्यान, जप और मानसिक शांति में बाधा आ सकती है। इसलिए सात्विक भोजन को प्राथमिकता दी जाती है, जैसे – फल, दूध, साबूदाना, कुट्टू आटा, और लौकी जैसी हल्की सब्ज़ियां।
धार्मिक अनुशासन और परंपरा का सम्मान
हर धर्म और त्योहार की कुछ मान्यताएं होती हैं, जिन्हें पीढ़ियों से अपनाया जाता रहा है। नवरात्रि में प्याज-लहसुन न खाना भी धार्मिक अनुशासन का हिस्सा है। यह हमारे संस्कारों और आस्था को दर्शाता है। भले ही इसके पीछे विज्ञान या पौराणिक कारण हो, लेकिन इसे मानना हमारी श्रद्धा और परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
क्या सभी लोग इसका पालन करते हैं?
ज़रूरी नहीं कि हर व्यक्ति इस नियम का पालन करे। आजकल कुछ लोग अपनी सुविधा और स्वास्थ्य के अनुसार प्याज-लहसुन खाते भी हैं। लेकिन जो लोग व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ निभाते हैं, वो इन चीजों से दूरी बनाकर पूर्ण सात्विकता अपनाते हैं। प्याज और लहसुन नवरात्रि के दौरान सिर्फ खाने की चीजें नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन का हिस्सा हैं। इनके पीछे धार्मिक मान्यता, पौराणिक कथाएं और वैज्ञानिक सोच सबका मेल है।
अगर आप भी इस नवरात्रि शुद्धता और भक्ति के रास्ते पर चलना चाहते हैं, तो सात्विक जीवनशैली अपनाइए और इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखिए। यही सच्ची भक्ति है।