इस्लाम में बिल्ली पालना जायज़ और कुत्ता पालना नाजायज़ क्यों माना जाता है? जानिए कारण

punjabkesari.in Sunday, Nov 16, 2025 - 06:50 PM (IST)

नारी डेस्क : इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है जो अल्लाह की इबादत और उनके बताए जीवन-मूल्यों पर आधारित है। इस्लाम में ‘जायज़’ (अनुमति) और ‘नाजायज़’ (अनुचित) की अवधारणाएं बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इन्हीं नियमों के आधार पर कई लोग यह जानना चाहते हैं कि इस्लाम में बिल्ली पालना जायज़ क्यों है, जबकि कुत्ता पालना नाजायज़ या मकरूह (नापसंद) क्यों माना जाता है? आईए धार्मिक और तर्कपूर्ण कारणों को सरल भाषा में समझते हैं। इस्लाम में बिल्ली पालना जायज़ क्यों है?

बिल्ली को धार्मिक रूप से ‘पाक’ माना गया है

इस्लाम में बिल्लियों को स्वच्छ (पाक) जानवर माना जाता है। यही कारण है कि बिल्लियों का घर में आना-जाना या मस्जिद में घुस जाना भी नापसंद नहीं किया गया। इनके शरीर और थूक को अशुद्ध नहीं माना गया है।

पैगंबर मोहम्मद ने बिल्लियों से अच्छा व्यवहार करने की हिदायत दी

हजरत अबू हुरैरा (रज़ि.) एक मशहूर सहाबी थे जिन्हें बिल्लियों से बेहद लगाव था। कहा जाता है कि उनके पास हमेशा एक बिल्ली का बच्चा रहता था, इसी वजह से उन्हें “अबू हुरैरा” कहा गया। पैगंबर मोहम्मद ने बिल्लियों के साथ नरमी और करुणा से पेश आने की हिदायत दी है और ऐसा करने पर सवाब मिलने का जिक्र भी मिलता है।

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बिल्लियां घर के लिए फायदेमंद होती हैं

बिल्ली पालने से घर में चूहों और अन्य कीटों पर नियंत्रण रहता है, जिससे घर का वातावरण साफ और सुरक्षित बना रहता है। यह एक उपयोगी और व्यावहारिक कारण भी माना जाता है।

इस्लाम में कुत्ते पालना नाजायज़ या मकरूह क्यों माना गया है?

इस्लाम में कुत्ता पालना पूरी तरह हराम नहीं है, बल्कि कुछ स्थितियों में जायज़ और बाकी मामलों में मकरूह (नापसंद) माना गया है।

फरीश्तों के घर में प्रवेश न करने की हदीस

कुछ हदीसों के अनुसार: “जिस घर में कुत्ता होता है, वहां रहमत के फरीश्ते प्रवेश नहीं करते।”
इसी कारण कुत्ते को unnecessary (अनावश्यक) कारणों से घर में रखना मकरूह माना गया है।

कुत्ते का थूक नापाक (अशुद्ध) माना गया है

इस्लाम के फिक्ह में कुत्ते की लार को नापाक माना गया है। यदि कुत्ता किसी बर्तन से पानी पिए, तो उस बर्तन को
7 बार पानी से और 1 बार मिट्टी से धोने का नियम बताया गया है।
इसी वजह से स्वच्छता और पवित्रता का पहलू कुत्ता पालने को कठिन बनाता है।

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फिर भी कुछ परिस्थितियों में कुत्ता पालना जायज़ है

इस्लाम में निम्न आवश्यक कार्यों के लिए कुत्ता पालने की अनुमति है।
शिकार के लिए
खेत या पशुओं की रखवाली के लिए
सुरक्षा (Guard Dog) के लिए
इन कामों के लिए कुत्ता पालना हराम नहीं, बल्कि जायज़ है।

कुत्ता छूने से वुजू नहीं टूटता

यह भी एक गलतफहमी है कि कुत्ता छू जाए तो वुजू टूट जाता है।
वास्तविक हुक्म यह है—वुजू नहीं टूटता
लेकिन कपड़ा या हाथ कुत्ते की लार से गंदा हो जाए तो उसे धोना जरूरी होता है

इस्लाम में बिल्ली और कुत्ते को लेकर फैसले पूरी तरह धार्मिक स्वच्छता, पवित्रता, हदीसों और व्यावहारिक कारणों पर आधारित हैं। बिल्ली को पाक माना गया है और वह घर की सफाई व उपयोगिता में मददगार होती है, इसलिए उसे पालना जायज़ है। वहीं कुत्ते की नापाकी और कुछ हदीसों के कारण घर के अंदर रखना मकरूह है, लेकिन सुरक्षा, पहरेदारी या शिकार जैसे कामों के लिए उसे पालने की अनुमति दी गई है।


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Content Editor

Monika

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