सावन में क्यों मायके जाती है औरतें?
punjabkesari.in Monday, Jul 20, 2020 - 06:08 PM (IST)
सावन का महीना धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व रखता हैं। इस पूरे महीने में जहां लोग शिव भक्ति में डुबे होते हैं। वहीं नवविवाहिताओं के लिए यह महीना बड़ा ही खास माना जाता हैं। चाहे आज के समय की पीढ़ी अपने पुराने रीति-रिवाजों को भूलती जा रही हैं। मगर आज भी कुछ ऐसी महिलाएं हैं जो इस महीने अपने मायके में समय बीताने जाती हैं। वहां वे अपने मां- बाप के साथ समय बीताती थी। अपनी सहेलियों के साथ हार श्रृंगार कर झूला-झूलती, नए-नए पकवान खाने का मजा लेती हैं। मगर क्यों महिलाओं को मायके भेजा जाता हैं कि जानते हैं इसके पीछे का कारण...
इंफेक्शन होने का खतरा
इन दिनों मौसम में बैक्टीरिया पनपने से शरीर में कमजोरी व थकान रहती है। ऐसे में वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार इस दौरान पति-पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध बनाने से इंफेक्शन होने का खतरा रहता हैं।
महिलाएं करती हैं मस्ती
इस महीने में नवविवाहितें अपने मायके जाकर सहेलियों के साथ समय बीताती हैं। उनके साथ हंस-खेलकर मौज-मस्ती करती है।
खुशी से झुलती है झूला
इस महीने को 'सुहागिनों का त्योहार' माना जाता हैं। इस दौरान सभी खासतौर पर नई विवाहित महिलाएं हरे रंग के कपड़े और हार-श्रृंगार कर झूला झूलती है। इन दिनों को खुशी से मनाती है।
ससुराल से लाती है फल
जब महिलाएं अपने ससुराल से मायके आती हैं तो अपने साथ फल और पकवान लाती हैं। वह उनसब चीजों को अपनी सहेलियों के साथ बांटकर खाती हैं।
सहेलियों से करती दिल की बात
यह समय वह पूरा महीना मायके में मौज- मस्ती करती हैं। अपनी सहेलियों के साथ अपने दिल की बात सांझा करती हैं।
खाती है सेवइयां
सावन के मौसम में इंफ्क्शन होने का खतरा अधिक होता है। इससे बचने के लिए खासतौर पर सेवइयां और अलग-अलग पकवान बनाकर खाए जाते है। ताकि मौसमी बीमारियों से बचाव रहें।
बदल गया जमाना
मगर अब जमाने के साथ-साथ सभी की सोच में भी बदलाव आ गया हैं। अब बहुत से लोग इसे पुरानी प्रथा कह कर इसे अपनाने से मना करती हैं। खासतौर पर कामकाजी महिलाएं समय न होने के वजह से इस प्रथा को मानने से इंकार करती है।