मंदिर में जानें से पहले क्यों बजाई जाती हैं घंटी?
punjabkesari.in Tuesday, Mar 02, 2021 - 10:21 AM (IST)
मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। आपने भी हर किसी को मंदिर के अंदर जाने से पहले घंटी बजाते व ईश्वर का नाम लेते देखा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है। चलिए आपको हम आपको बताते हैं मंदिर में प्रवेश से पहले घंटी बजाने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण...
सबसे पहले जानते हैं कितनी तरह की होती हैं घंटियां
-पहली आकार में छोटी गरूड़ घंटी, जिसका इस्तेमाल अमूमन घर के मंदिरों में किया जाता है। इसे हाथ से पकड़ कर बजाया जाता है।
-दूसरी द्वार घंटी, जो मंदिर के दरवाजे पर लगाई जाती हैं। यह किसी भी आकार की हो सकती है। आप चाहें तो इन्हें घर में भी लगा सकते हैं।
-तीसरी गोल आकार की प्राचीन हाथ घंटी, जिसमें पीतल की प्लेट को लकड़ी की छड़ी से पीटा जाता है। इसकी आवाज घंटे की तरह ही तेज होती है।
-चौथा आकार में सबसे बड़ा घंटा, जिसकी आवाज कई कि.लो. तक जाती है। इसके अक्सर मंदिर के द्वार पर लगाया जाता है।
क्यों बजाई जाती है घंटी?
मंदिर में घंटी लगाने के सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, घंटी की आवाज पूरे वातावरण में गूंजती है, जिससे पैदा होने वाली कंपन जीवाणु और सूक्ष्म जीव का नाश करती है। ऐसा माना जाता है कि जहां घंटी की आवाज गूंजती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध व पवित्र रहती है।
क्या हैं धार्मिक महत्व?
. माना जाता है कि घंटी बजाने से देवी-देवताओं में चेतना आ जाती है और भगवान के द्वार में आपकी हाजरी लग जाती है।
. ग्रंथों के अनुसार, घंटी की आवाज से मन में अध्यात्मिक भाव आते हैं और बुरे ख्याल दूर होते हैं।
. पुराणों के मुताबिक, घंटी सृष्टि की रचना के वक्त गूंजने वाली नाद का प्रतीक है। यही वजह है कि किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले घंटी बजाई जाती है।
सेहत के लिए भी फायदेमंद है घंटी बजाना
1. कैडमियम, जिंक, निकेल, क्रोमियम और मैग्नीशियम से बनी घंटी को बजाने से जो आवाज निकलती है उससे मस्तिष्क संतुलित रहता है।
2. घंटी की गूंज शरीर के सभी 7 हीलिंग सेंटर को सक्रीय कर देती है, जिससे मन शांत होता है और मन में नकारात्मक ख्याल भी नहीं आते।
3. यह मन, मस्तिष्क व शरीर को सकारात्मक ऊर्जा व शक्ति प्रदान करती है, जिससे आप डिप्रेशन जैसी बीमारियों से बचे रहते हैं।