बच्चों में होने वाली आम सर्दी को न करे नजरअंदाज, 90% पेरेंटस को नहीं है वॉकिंग निमोनिया की जानकारी
punjabkesari.in Thursday, Nov 14, 2024 - 11:52 AM (IST)
नारी डेस्क: निमोनिया के बारे में तो हम सब जानते ही हैं लेकिन क्या आपने वॉकिंग निमोनिया के बारे में सुना है। यह एक रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है, खासकर बच्चों को इससे बेहद खतरा है। यह एक हल्का लेकिन लंबा चलने वाला निमोनिया होता है, जिसे अक्सर लोग आम सर्दी या फ्लू समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। यह बीमारी मायकोप्लाज्मा न्यूमोनिया (Mycoplasma pneumoniae) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है, जिससे बच्चे को बेहद खतरा है। हैरानी की बात तो यह है कि 90% पेरेंटस को तो इसकी जानकारी ही नहीं है।
वॉकिंग निमोनिया क्या होता है?
वॉकिंग निमोनिया एक सामान्य निमोनिया की तरह ही होता है। यह विशेष रूप से बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को होता है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर सांस की बूंदों के द्वारा दूसरों तक फैलती है। इसके लक्षण इतने हल्के हो सकते हैं, बच्चे को देखकर पता ही नहीं चलता कि उन्हें निमोनिया है। ऐसे में स्कूल और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में संक्रमण के फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
वॉकिंग निमोनिया के लक्षण
इसमें लक्षण आम सर्दी जैसे ही होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ते हैं:
- हल्की खांसी जो लंबे समय तक बनी रहती है
- गले में खराश और हल्का बुखार
- सिरदर्द और थकान
- नाक बंद होना या बहना
- कभी-कभी सांस लेने में तकलीफ
वॉकिंग निमोनिया के कारण
मायकोप्लाज्मा बैक्टीरिया: यह बैक्टीरिया स्कूल या भीड़भाड़ वाले स्थानों पर आसानी से फैल सकता है।
कमजोर इम्यूनिटी: जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है।
वॉकिंग निमोनिया का इलाज
एंटीबायोटिक दवाएं: बैक्टीरिया को नियंत्रित करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
आराम: पर्याप्त आराम से शरीर को ठीक होने का समय मिलता है।
तरल पदार्थ: अधिक पानी पीने से गले और फेफड़ों में बलगम पतला होकर बाहर आ सकता है।
भाप: भाप लेने से सांस लेना आसान होता है और गले की खराश भी कम होती है।
बचाव के उपाय
- बच्चों के नियमित हाथ धुलाएं और उनके आसपास सफाई रखें।
- बच्चों को खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढकने के लिए कहें।
- बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनाएं।
वॉकिंग निमोनिया को नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह धीरे-धीरे फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। यदि लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।