कहीं आप तो नहीं पी रहे रोजाना जहर ! टॉयलेट सीट से 40,000 गुना ज्यादा गंदी होती है आपकी बोतल

punjabkesari.in Tuesday, Mar 14, 2023 - 12:29 PM (IST)

गर्मी की शुरुआत होते ही मार्केट में अलग-अलग रंग और डिजाइन की एक से बढ़कर एक बोतलें देखने काे मिलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बोतल में रखा पानी धीमा जहर है जो धीरे- धीरे हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। हाल ही के अध्ययन में भी ये बात सामने आई है कि पानी की बोतल टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदी होती है।

 

बोतल में होते हैं जानलेवा बैक्टीरिया

रीयूजेबल पानी की बोतल में शामिल लाखों जानलेवा बैक्टीरिया आपको कई बीमारियों का शिकार बना सकते हैं।अमेरिका स्थित वॉटरफिल्टरगुरु.कॉम के शोधकर्ताओं ने इस बात का दावा किया है। उनके मुताबिक  रीयूजेबल पानी की बोतल में टॉयलेट सीट से भी 40000 गुना ज्यादा बैक्टीरिया हो सकते हैं।

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बोतल की हुई तीन बार जांच

रिसर्चर्स ने बोतल के अलग-अलग हिस्सों से तीन-तीन बार जांच की, जिस दौरान बोतल पर दो प्रकार के बैक्टीरिया की मौजूदगी पाई गई। इनमें ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया और बैसिलस बैक्टीरिया शामिल हैं। बताया जाता है कि  ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया तरह-तरह के इन्फेक्शन्स पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि बेसिलस बैक्टीरिया गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स पैदा कर सकते हैं। 

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खतरनाक होते है बोतल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया

दावा किया जा रहा है कि ये बैक्टीरिया इतने खतरनाक हैं कि आपके अंदर ऐसी क्षमता पैदा कर देंगे कि शरीर पर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई असर ही नहीं होगा। रिसर्चर्स ने  बोतलों की सफाई की तुलना रोज़मर्रा की घरेलू वस्तुओं से तुलना करते हुए समझाया कि  बोतल में रसोई के सिंक की तुलना में दोगुने कीटाणु होते हैं, कम्प्यूटर माउस की तुलना में चार गुणा अधिक और पालतू पशु के भोजन के बर्तन की तुलना में 14 गुणा अधिक बैक्टीरिया हो सकते हैं।

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टाइट ढक्कन वाली बोतल होती है साफ

अध्ययन से यह भी पता चला है कि जिन तरह की बोतलों का परीक्षण किया गया, उनमें दबाकर बंद होने वाले ढक्कन वाली बोतलें सबसे साफ होती हैं, और उनमें स्क्रू-नुमा ढक्कन या स्ट्रॉ-फिटेड ढक्कन वाली बोतलों की तुलना में सिर्फ 10वां हिस्सा बैक्टीरिया होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि  दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाली बोतलों को हर रोज़ कम से कम एक बार गर्म पानी और साबुन से जरुर धोएं और हर हफ्ते कम से कम एक बार उसे सैनिटाइज़ किया जाना चाहिए। 


 


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Content Writer

vasudha

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