रावण न करता गलती तो भारत की बजाय श्रीलंका में होता यह शिव मंदिर, यहां खंभों से निकलता है संगीत
punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2025 - 07:55 PM (IST)
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नारी डेस्क: भारत एक प्राचीनतम सभ्यता वाला सांस्कृतिक देश हैं। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो कई हजारों साल पुराने हैं। आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जो कई अनसुनी कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि यदि रावण गलती ना करता तो यह मंदिर भारत की बजाय श्रीलंका में होता।
भगवान शिव का रूप हैं विरुपक्ष
हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर की जो तीर्थयात्रा का मुख्य केंद्र है, और सदियों से इसे सबसे पवित्र अभयारण्य माना जाता रहा है। यह मंदिर भगवान विरुपक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित है, विरुपक्ष भगवान शिव का ही एक रूप है। भगवान शिव का यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है। इस प्राचीन मंदिर की कहानी रावण से जुड़ी हुई है जो परम शिवभक्त था।
यहां के दीवारों बताते हैं पूरी कहानी
पौराणिक कथाओं की मानें तो हम्पी ही वो शहर है, जिसे रामायण काल में किष्किंधा कहा जाता था। रावण जब शिव जी के दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तो यहां रुका हुआ था और उसने इसी जगह एक बूढ़े आदमी को शिवलिंग पकड़ने के लिए दिया था और उस बूढ़े आदमी ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया था, तब से शिवलिंग इसी जगह मौजूद है। यहां के दीवारों पर बने चित्र इस बात के गवाह हैं। दीवारों पर उस प्रसंग के चित्र बने हुए हैं जिसमें रावण शिव से पुन: शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहे हैं और भगवान शिव इंकार कर देते हैं।
500 साल पुराना है ये मंदिर
यहां अर्ध सिंह और अर्ध मनुष्य की देह धारण किए नृसिंह की 6.7 मीटर ऊंची मूर्ति भी है। । इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। करीब 500 साल पहले इस मंदिर का गोपुरम बनाया गया है, जो 50 मीटर ऊंचा है। द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना हुआ ये मंदिर भक्तों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण तैरने वाले पत्थरों से किया गया था। द्रविड़ स्थापत्य शैली में ये मंदिर ईंट तथा चूने से बना है। इस मंदिर के पास मौजूद छोटे-छोटे मंदिर भी द्रविड़ स्थापत्य शैली के हैं। हेम कूट पहाड़ी की तलहटी पर श्री विरुपाक्ष मंदिर यूनेस्को की घोषित राष्ट्रीय धरोहरों में भी शामिल है।
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'म्यूजिक कॉलम' के नाम से मशहूर है मंदिर
इस मंदिर की एक खासियत यह भी है कि इसके कुछ खंभों से संगीत बजता है। इसलिए इन्हें 'म्यूजिक कॉलम' भी कहा जाता है। अंग्रेजों ने यह पता लगाने की कोशिश की, कि स्तंभों से संगीत कैसे निकला। इसके लिए उसने मंदिर के खंभों को तोड़ डाला। तो उसे आश्चर्य हुआ, क्योंकि स्तम्भ भीतर से खोखले थे और कुछ भी नहीं था। यह रहस्य आज तक नहीं खोजा जा सका है|