वट सावित्री पर मिलेगा पति को लंबी आयु का वरदान, यहां पढ़े व्रत की कथा
punjabkesari.in Thursday, May 18, 2023 - 06:31 PM (IST)
हिंदू धर्म शास्त्र में हर त्योहार का बहुत ही खास महत्व बताया गया है। कोई भी व्रत हो उसे इस धर्म में काफी पूजनीय माना जाता है। उन्हीं में से एक है वट सावित्री का व्रत इस बार वट सावित्री का व्रत 19 मई यानी कल रखा जाएगा। ऐसे में इस दिन विवाहित स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा पाठ करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा व्रत की कथा के बिना भी वट सावित्री का व्रत अधूरा है। तो चलिए आज आपको बताते हैं व्रत की कथा...
क्या है व्रत की कथा
पौराणिक कथा की मानें तो राजश्री अश्वपति की एक ही संतान थी जिसका नाम सावित्री था। सावित्री का विवाह द्वयमत्सेन के बेटे सत्यवान के साथ हुआ था। वह अल्पायु थे शादी के एक साल बाद ही उनकी मृत्यु तय थी। नारद जी से जब इस बात की जानकारी अश्वपति को हुई तो उन्होंने सावित्री को दूसरी शादी करने की सलाह दी परंतु सावित्री ने हार नहीं मानी और वह अपने पति सत्यवान के साथ वन में रहती थी। साथ में उनकी दृष्टिहीन सास और ससुर भी रहते थे। सावित्री उन सभी को बहुत ही सेवा किया करती थी। सावित्री को जब इस बात का पता चला कि उनके पति सत्यवान कम दिन ही जीवित रहेंगे तो वह उपवास करने लगी जिस दिन सत्यवान के प्राण निकलने वाले थे उस दिन सावित्री भी उनके साथ लकड़ी लेने जंगल गई। सत्यवान पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काटने लगे तो उनके सिर में तेज दर्द होने लगा। वह नीचे आए और एक बरगद के पेड़ के नीचे आकर लेट गए। उस समय सावित्री ने अपने पति का सिर अपनी गोद में रखा।
पति के प्राणों के लिए यमलोक चली गई सावित्री
कुछ समय के बाद जब सावित्री ने देखा कि यमराज सत्यवान के प्राण लेने के लिए आए हैं तो वे अपने दूतों के साथ सत्यवान के प्राण हरकर यमलोक जाने लगे। सावित्री भी उनके पीछे चलने लगीं सावित्री को देख यमराज रुक गए और उसे समझाया कि सत्यवान से तुम्हारा साथ सिर्फ धरती लोक तक ही था। तुम वापस चली जाओ सावित्री ने कहा कि वह पतिव्रता हैं जहां उनके पति जाएंगे वहां वे भी जाएंगी।
सावित्री ने कर लिया था यमराज को प्रसन्न
यमराज सावित्री की अपने पति के प्रति इतनी पवित्रता को देख खुश हुए और उसे कोई वरदान मांगने के लिए कहा। सावित्री ने कहा कि आप उनके सास-ससुर को दृष्टि प्रदान कर दें। यमराज ने वह वरदान दे दिया और आगे बढ़ गए। कुछ समय के बाद उन्होंने देखा कि सावित्री पीछे ही चली आ रही है। यमराज ने फिर एक वरदान मांगने को कहा तो सावित्री ने ससुर को खोया हुआ राजपाठ वापस दिलवाने का वरदान मांगा। यमराज ने उसे यह भी वरदान दे दिया।
सौ पुत्रों की मां होने का मिला था सावित्री को वरदान
कुछ दूर जाने के बाद यमराज ने देखा कि सावित्री अभी भी वापिस नहीं गई हैं तो उन्होंने कहा कि अब अंतिम वरदान है उसे लो और पृथ्वी पर वापस चले जाओ। तब सावित्री ने कहा कि उनको 100 पुत्रों की मां होने का आशीर्वाद लें। यमराज ने वरदान दे दिया। सावित्री पतिव्रता महिला थी और सत्यवान के बिना यमराज का वरदान कभी पूरा नहीं हो सकता था। इसी लिए यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए थे। वहीं इसके बाद सावित्री जंगल में उस बरगद के पेड़ के नीचे आ गई जहां पर उसके पति सत्यवान थे। उसने देखा कि सत्यवान जीवित हो चुके थे। यमराज के वरदान से उनके पति के प्राण भी बच गए। सास-ससुर को भी दृष्टि मिल गई और वे फिर से वह सभी अपने महल में सूखपूर्वक रहने लगे।
वहीं हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या में महिलाएं वट सावित्री रखती हैं ताकि उनके पति की लंबी उम्र हो, संतान की प्राप्ति हो और उनके दांपत्य जीवन भी खुशहाली से भर सके।