पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए ऐसे करें व्रत, जानें सही विधि और जरूरी बातें
punjabkesari.in Sunday, Apr 20, 2025 - 01:06 PM (IST)

नारी डेस्क: वट सावित्री व्रत 2025 का पर्व एक बार फिर लेकर आ रहा है सुहागिनों के लिए आस्था, प्रेम और समर्पण का अनुपम संगम। 26 मई को पड़ने वाले इस विशेष दिन पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए व्रत रखेंगी और वट वृक्ष की पूजा करेंगी। सावित्री-सत्यवान की अमर प्रेम गाथा से प्रेरित यह व्रत नारी शक्ति, धैर्य और श्रद्धा का प्रतीक है। अगर आप भी इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करना चाहती हैं, तो इस वीडियो में जानिए व्रत की सही पूजा विधि, नियम और जरूरी सावधानियां, ताकि आपका व्रत हो पूरी तरह सफल और फलदायक।
व्रत का महत्व क्या है?
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि पत्नी के प्रेम, समर्पण और शक्ति का प्रतीक भी है।
पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु से वापस लाने के लिए यह व्रत किया था। उनकी दृढ़ निष्ठा और भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया। तभी से यह व्रत महिलाओं के लिए एक महान आदर्श बन गया।
वट सावित्री व्रत में क्या करें (Do’s)
सवेरे जल्दी उठें और स्नान करें
वट सावित्री व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। स्नान के बाद स्वच्छ, पवित्र और पारंपरिक वस्त्र पहनें। विशेष रूप से लाल, पीला या गुलाबी रंग का चयन करें क्योंकि ये रंग सौभाग्य और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं। स्नान के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान का ध्यान करते हुए व्रत की मानसिक तैयारी करें।
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सुहाग चिन्ह अवश्य धारण करें
इस दिन सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बिंदी और पायल आदि पहनना आवश्यक होता है, क्योंकि ये सभी विवाहित स्त्रियों के सौभाग्य के प्रतीक होते हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह आस्था का प्रतीक भी बनता है। अपने श्रृंगार को पूरी श्रद्धा से करें और मन में यह संकल्प लें कि यह व्रत आप अपने पति की लंबी उम्र व सुख-शांति के लिए कर रही हैं।
बरगद के पेड़ की पूजा करें
वट वृक्ष (बरगद का पेड़) इस व्रत में विशेष महत्व रखता है। महिलाएं वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करती हैं और उसके चारों ओर सूत का धागा लपेटती हैं। यह परिक्रमा करते समय भगवान विष्णु, शिव और सावित्री माता का स्मरण करें। व्रक्ष को जल, चावल, रोली, हल्दी, फूल, फल और दीपक अर्पित करें। यह पूजा न केवल प्रतीकात्मक होती है, बल्कि वट वृक्ष को आयु, स्वास्थ्य और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है।
सावित्री-सत्यवान की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें
व्रत की पूर्णता तभी मानी जाती है जब आप सावित्री और सत्यवान की कथा श्रद्धा से सुनती या पढ़ती हैं। यह कथा नारी शक्ति, समर्पण और बुद्धिमत्ता का अद्भुत उदाहरण है। कथा के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि यदि मन में अटूट विश्वास और प्रेम हो, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। आप चाहें तो कथा का पाठ स्वयं करें या परिवार के साथ बैठकर किसी विद्वान या पंडित से सुनें।
वट सावित्री व्रत में क्या न करें (Don’ts)
व्रत में कुछ न खाएं या पिएं (अगर निर्जला व्रत कर रही हों)
यह व्रत अधिकतर महिलाएं निर्जला यानी बिना जल के रखती हैं। अगर आप भी ऐसा व्रत कर रही हैं, तो पूरा दिन धैर्य और आत्मनियंत्रण के साथ बिताएं। दिनभर खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखें और शारीरिक श्रम से बचें। अगर आपकी तबीयत साथ नहीं दे रही हो तो व्रत के तरीकों में थोड़ी लचीलापन रखें और विशेषज्ञ या पंडित से सलाह लेकर निर्णय लें।
काले या सफेद कपड़े न पहनें
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, काले और सफेद रंग को व्रत-त्योहारों में अशुभ माना जाता है। इस दिन ऐसे रंग पहनने से बचें और हमेशा उज्ज्वल, शुभ रंगों जैसे लाल, पीला, गुलाबी या नारंगी का चयन करें। यह रंग ऊर्जा, उत्साह और शुभता के प्रतीक होते हैं और व्रत के वातावरण को भी सकारात्मक बनाए रखते हैं।
स्वास्थ्य की अनदेखी न करें
अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या गर्भवती हैं, तो व्रत को लेकर कठोरता न अपनाएं। अपनी सेहत के अनुसार व्रत करें। भगवान भावना देखते हैं, शरीर को कष्ट देना आवश्यक नहीं होता। आप फलाहार ले सकती हैं या जल पी सकती हैं। मुख्य बात यह है कि व्रत श्रद्धा और भक्ति से किया जाए, न कि दिखावे या ज़बरदस्ती से।
पूजा या कथा को न टालें
कुछ लोग केवल उपवास करके सोचते हैं कि व्रत पूरा हो गया, जबकि व्रत की पूजा और कथा इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसे नजरअंदाज न करें। कथा को सुनने से व्रत का आध्यात्मिक लाभ मिलता है और सावित्री जैसी शक्ति व आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। पूजा में मन, वाणी और कर्म से पूरी श्रद्धा के साथ भाग लें।
वट सावित्री व्रत सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह एक महिला के श्रद्धा, प्रेम और आत्मबल का उत्सव है। अगर आप इस व्रत को सही तरीके से, पूरी भक्ति और नियमों के साथ करेंगी, तो निश्चित रूप से आपके वैवाहिक जीवन में सौभाग्य, सुख और समृद्धि बनी रहेगी।