सर्विकल कैंसर से बचने का एकमात्र बचाव Vaccination, जानें पूरी डिटेल

punjabkesari.in Sunday, Feb 04, 2024 - 10:47 AM (IST)

पूरी दुनिया में महिलाओं को होने वाले कैंसर में से सबसे कॉमन कैंसर है सर्विकल कैंसर। ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाएं इस कैंसर की चपेट में बहुत जल्दी आती हैं। हाल ही में मॉडल और लोकअप फेम एक्ट्रेस पूनम पांडे का निधन सर्विकल कैंसर के कारण हुआ है। एक्सपर्ट्स की मानें तो कमजोर इम्यूनिटी, मल्टीपल पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध, जेनिटल हाइजीन की कमी और कम उम्र में जिन महिलाओं के बच्चे  होते हैं उन्हें इस कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। बीते कल बजट में भी निर्मला सीतारमण ने भी सर्विकल कैंसर के खतरे पर जोर देते हुए कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन को बढ़ावा दिया है। 

कैसे फैलता है यह कैंसर?

सर्विकल कैंसर एचपीवी वायरस यानी ह्यूमन पेपिलोमावायरस के कारण होता है। जब यह वायरस शरीर में ज्यादा समय तक रहता है और नष्ट नहीं हो पाता तो यह कैंसर का कारण बनता है। ज्यादातर मामलों में शरीर खुद ही इस वायरस को खत्म करने में सक्षम होता है लेकिन कुछ मामलों में यह फैल भी जाता है। एचपीवी वायरस के 12 अलग स्ट्रेन होते हैं जिनमें से कुछ ज्यादा जोखिम वाले स्ट्रेन विभिन्न कैंसर का कारण बनते हैं। सर्वाइकल कैंसर कैंसर की सबसे आम प्रकार है जो एचपीवी के कारण हो सकता है।

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असुरक्षित संबंध बनाना सबसे बड़ा कारण

इस कैंसर की शुरूआत एचपीवी इंफेक्शन के कारण होती हैं, जिसे ह्यूमन पैपिलोमा वायरस कहा जाता है।  इस संक्रमण के कारण सर्विकल कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। माना जाता है कि असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर ये फैलता है। इंटरकोर्स में एक्टिव 80% लोग अपनी लाइफ में कम से कम एक बार जरूर  HPV संक्रमण के संपर्क में आते हैं हालांकि ये संक्रमण थोड़े समय के लिए ही रहता है लेकिन जो लोग HPV से एक से अधिक बार संक्रमित होते हैं या उनमें HPV संक्रमण वर्षों तक रहता हैं उन्हें इस कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। बता दें कि यह इंफेक्शन शारीरिक संपर्क के बाद एक दूसरे में ट्रांसमिट होता है। इसके अलावा प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई ना रखने, कम उम्र में शादी और प्रैगनेंसी, गर्भनिरोधक गोलियां, ज्यादा पार्टनर के साथ इंटरकोर्स, कमजोर इम्यूनिटी और स्मोकिंग के चलते भी इस कैंसर का खतरा रहता है। ये महिलाओं के निचले यूटरस के हिस्सा में मौजूद सेल्स गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में तेजी से विकसित होता है। इस बीमारी में गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स के सेल्स पर असर पड़ता है। सबसे पहले इसका असर इनर टिशू पर होता है और फिर यह शरीर के अन्य भागों में ये फैल जाता है।

आखिरी समय तक नहीं पता चलते लक्षण 

इस कैंसर के लक्षणों की बात करें तो बीमारी के लक्षण आखिर तक पहचानने मुश्किल हो जाते हैं। यह बीमारी सालों साल छिपी रहती है। भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्‍टेज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्‍ट हो पाता है। तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं। वहीं शरीर में हुए कुछ बदलावों से इसे पहचाना  जा सकता है।

जैसे यूरीन पास करते दर्द होना या बार बार यूरिन आना।

यूरिन पर कंट्रोल नहीं रहना और ब्लड आना।

इंटरकोर्स के समय दर्द होना।

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वैक्सीनेशन ही सबसे कारगार बचाव

सर्विकल कैंसर से बचाव के लिए रेगुलर स्‍क्रीनिंग और वैक्सीनेशन कराना जरूरी है। एचपीवी वैक्सीनेशन इस कैंसर से बचाने में सबसे मददगार है। 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्‍क सर्विकल कैंसर वैक्‍सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला लिया था ताकि महिलाओं को इस कैंसर से बचाया जा सके।

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एक्सपर्ट की मानें तो इससे बचाव का उपाय भी सिर्फ वैक्‍सीन ही है जो कि छोटी बच्चियों और बच्‍चों को इसके इन्‍फेक्‍शन फेज से पहले ही लगवा देनी चाहिए। भारत में बनी सर्विकल कैंसर की सीरम इंस्‍टीट्यूट की सर्वावैक वैक्‍सीन 98 फीसदी कारगर है, लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि इसे फिजिकल इंटरकोर्स या शारीरिक संबंध बनाने से पहले लगा देना चाहिए। लड़कियों में इसे 9 से 14 साल की उम्र तक लगा देना बेस्‍ट है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद टीका नहीं लगवाया जा सकता। 46 साल की उम्र तक यह टीका लगवा सकते हैं और यह निश्चित रूप से बचाव करेगा। इसके अलावा रैगुलर स्‍क्रीनिंग जरूरी है और साथ ही में यह भी जाने कि इस कैंसर से बचने के लिए सुरक्षित संबंध बनाने जरूरी है और एक ही पार्टनर से संबंध रखें।
 

 

 


 


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Content Writer

palak

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