दुबले-पतले लोगों के लिए चिंता की खबर, कम वजन दे रहा है शुगर की बीमारी को न्यौता  !

punjabkesari.in Monday, Apr 14, 2025 - 01:42 PM (IST)

नारी डेस्क: दुनिया भर में जहां ब्लड शुगर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं कुपोषण से होने वाली मधुमेह की एक कम ज्ञात बीमारी जिसे टाइप-5 मधुमेह कहा जाता है दशकों बाद दुनिया भर में चर्चा में आ रही है। युवा और दुबले-पतले वयस्कों में अक्सर होने वाली इस बीमारी को पहली बार 1955 में जमैका में रिपोर्ट की गई थी और फिर इसे जे-टाइप मधुमेह के रूप में परिभाषित किया गया था 1960 के दशक में, भारत, पाकिस्तान और उप-सहारा अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कुपोषित आबादी में इस बीमारी की रिपोर्ट की गई थी।
 

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टाइप-5 मधुमेह क्या है?

यह कुपोषण से संबंधित मधुमेह है, जो आम तौर पर कम और मध्यम आय वाले देशों में दुबले-पतले और कुपोषित किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है। अनुमान है कि टाइप 5 मधुमेह दुनिया भर में 20 से 25 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है, मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका में। पहले के निष्कर्षों ने सुझाव दिया था कि कुपोषण से संबंधित मधुमेह इंसुलिन प्रतिरोध से उपजा है। हालांकि, टाइप 1 मधुमेह के रोगियों की तरह इंसुलिन इंजेक्शन से इन रोगियों को कोई लाभ नहीं होगा। कुछ मामलों में, यह खतरनाक रूप से कम रक्त शर्करा का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि "इस प्रकार के मधुमेह वाले लोगों में इंसुलिन स्रावित करने की क्षमता में गंभीर दोष होता है, जिसे पहले पहचाना नहीं गया था। 


टाइप-2 मधुमेह से अलग है ये बीमारी

डायबिटीज केयर नामक पत्रिका में प्रकाशित 2022 के एक अध्ययन में दावा किया गया कि कुपोषण से संबंधित मधुमेह टाइप-2 मधुमेह से मौलिक रूप से अलग है, जो आमतौर पर मोटापे के कारण होता है और टाइप 1 मधुमेह एक ऑटोइम्यून बीमारी है। हालांकि, विशेषज्ञ ने कहा कि "डॉक्टर अभी भी अनिश्चित हैं कि इन रोगियों का इलाज कैसे किया जाए, जो अक्सर निदान के बाद एक साल से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं"। स्थिति को बेहतर ढंग से समझने और उपचार विकसित करने के लिए, IDF ने एक कार्य समूह का गठन किया है।
 

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कुपोषण इसका जिम्मेदार क्यों है?

कुपोषण यानी पोषण की कमी विशेषकर प्रोटीन और कैलोरी की कमी, शरीर के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को बुरी तरह प्रभावित करती है। इसके कारके अग्न्याशय (Pancreas) पूरी तरह विकसित नहीं होता, जिससे इंसुलिन का उत्पादन घट जाता है। शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं। मांसपेशियां और अंगों की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित नहीं हो पाता।
 

कार्य समूह क्या करेगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि- "कुपोषण से संबंधित मधुमेह तपेदिक से अधिक आम है और एचआईवी/एड्स जितना ही आम है"। आधिकारिक नाम की कमी ने रोगियों के निदान या प्रभावी उपचार खोजने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है।" टाइप-5 डायबिटीज यानी कुपोषण से जुड़ी मधुमेह, भारत जैसे देशों में एक गंभीर और अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली बीमारी है। इसे केवल चिकित्सा से नहीं, बल्कि सामाजिक और पोषण संबंधी सुधारों से भी नियंत्रित किया जा सकता है।


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Content Writer

vasudha

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