महिला ने छोटी उम्र में चीन के राजा को दिया था तलाक, 9 साल तक बिना किसी संबंध के खत्म की कहानी
punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 05:34 PM (IST)
नारी डेस्क : चीन के आखिरी सम्राट पुयी की दूसरी पत्नी एर्डेट वेनश्यू, जिन्हें इम्पीरियल कंसोर्ट शू कहा जाता था, इतिहास की एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने ना सिर्फ महल की बेड़ियों को तोड़ा, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में एक नया अध्याय भी लिख दिया। वह फॉरबिडन सिटी की आखिरी कंसोर्ट थीं और पहली जिन्होंने सम्राट को तलाक देकर दुनिया को हिला दिया। यह कदम इतना साहसिक था कि इतिहास इसे “द कंसोर्ट्स रिवोल्यूशन” के नाम से याद करता है।
शाही महल में जन्मी नहीं थीं
वेनश्यू का जन्म 20 दिसंबर 1909 को बीजिंग के एक सम्मानित मंचू परिवार में हुआ था। बचपन में ही पिता का साया उठ गया और उनकी मां ने अकेले ही उन्हें संभाला और आगे बढ़ाया। 1921 में किस्मत ने करवट ली उनका नाम सम्राट पुयी की महारानी के चयन के लिए सामने आया। लेकिन महल की बुजुर्ग डाउजर कॉन्सोर्ट्स को वेनश्यू पसंद नहीं आईं। उन्हें लगता था कि वानरोंग ज़्यादा सुंदर है, ज़्यादा संपन्न परिवार से आती है और इसलिए वहीं महारानी बनने लायक है। सम्राट पुयी का दिल भले ही वेनश्यू को चाहता था, लेकिन शाही राजनीति के सामने वह बेबस थे। मजबूरी में उन्हें वानरोंग को महारानी बनाना पड़ा और वेनश्यू को मिला सिर्फ दूसरा दर्जा, इम्पीरियल कॉन्सोर्ट का।

विवाह का वह दिन जिसने दो महिलाओं के बीच आग लगा दी
30 नवंबर 1922 को जब वेनश्यू और वानरोंग दोनों की शादी पुयी से हुई उसी दिन तनाव की शुरुआत भी हो गई। परंपरा के अनुसार वेनश्यू को महारानी को ‘कोटाउ’ करना था, लेकिन सम्राट पुयी ने कहा वह झुकेंगी नहीं। बस यहीं से वानरोंग के मन में ईर्ष्या और नफरत ने जन्म लिया।
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महल के अंदर दो महिलाओं की लड़ाई और एक सम्राट की चुप्पी
शादी के बाद ही महल की दीवारों के भीतर एक ठंडी जंग शुरू हो गई। महारानी वानरोंग को हर वक्त लगता था कि वेनश्यू उनकी जगह छीन लेंगी। वेनश्यू का जन्मदिन मनाना तक उन्हें बर्दाश्त नहीं था। क्योंकि यह सम्मान सिर्फ महारानी को मिलना चाहिए, ऐसा उनका मानना था। धीरे-धीरे छोटी-छोटी बातों से बड़े झगड़े बनने लगे। महल के नौकर-चाकर भी वेनश्यू को कमतर समझते थे और अक्सर उनका अपमान करते थे। उधर, सम्राट पुयी भी समय के साथ महारानी की तरफ झुकते गए और वेनश्यू लगभग अकेली पड़ गईं न कोई सहारा, न कोई आवाज़ जो उनके दर्द को समझे। शाही जीवन बाहर से जितना चमकदार दिखता था, अंदर से वही ज़िंदगी वेनश्यू के लिए अपमान, तन्हाई और लगातार टूटने वाली पीड़ा से भरी हुई थी।
हद तब हुई जब वेनश्यू को लगा अब खुद को बचाना होगा
वेनश्यू सिर्फ 13 साल की उम्र में सम्राट की कॉन्सोर्ट बनी थीं। 9 सालों तक उन्होंने महल की साजिशें, अपमान और मानसिक यातनाएं झेली। लेकिन उनसे उम्मीद थी कि वे चुप रहें क्योंकि वे “महल” में थीं। लेकिन वेनश्यू कोई साधारण महिला नहीं थीं। वह टूटी नहीं बल्कि लड़ने का फैसला किया।

2000 साल में पहली बार—किसी कंसोर्ट ने सम्राट को तलाक दिया
22 साल की उम्र में उन्होंने चुपचाप अपनी आज़ादी की तैयारी शुरू की पढ़ाई का बहाना बनाकर महल से बाहर जाना, वकीलों से गुप्त मुलाकातें और 9 साल तक पुयी से दूरी का कानूनी सबूत इकट्ठा करना। फिर एक दिन उन्होंने इतिहास में पहली बार किसी सम्राट को तलाक दिया। और इससे भी बड़ी बात उन्होंने इसे छिपाया नहीं, बल्कि सार्वजनिक किया। उन्होंने मुआवज़ा भी मांगा जो उस समय सोचना भी असंभव था। यह विद्रोह नहीं… खुद के सम्मान के लिए लड़ी गई लड़ाई थी।
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सहते रहो मत कहो—हक़ जानो और आवाज उठाओ
जब उनके कजन ने उन्हें सलाह दी कि “शादी में तकलीफें आती हैं… सहते रहो” तो वेनश्यू ने पलटकर कहा “कानून पढ़ो… अपना हक़ जानो। गलत को सहने की कोई जरूरत नहीं।” यह एक ऐसे समय में कहा गया था जब चीन में महिलाएं बोल भी नहीं सकती थीं। बता दें की वह अकेली महिला थीं जिन्होंने सम्राट को तलाक दिया। उन्होंने महल छोड़ते समय रोते हुए कहा “मैं जानती हूं… मैं इस जगह को कभी दोबारा नहीं देख पाऊंगी।” लेकिन उन्होंने पीछे नहीं हटना चुना। उनका साहस, संघर्ष और अपनी जिंदगी का मालिक बनने की लड़ाई आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा है।

