मूंछों वाले हीरो की सक्सेस स्टोरी...वो सात दिनों ने बदल दी थी एक्टर की जिंदगी
punjabkesari.in Saturday, Dec 25, 2021 - 11:11 AM (IST)
बॉलीवुड के झक्कास हीरो यानि हमारे अनिल कपूर आज अपना 65वां बर्थ डे मना रहे हैं। 65 साल के हीरो एक्टिंग ही नहीं बल्कि अपनी फिटनेस से भी अच्छे-अच्छे यंग एक्टर्स को जबरदस्त टक्कर देते हैं। 24 दिसंबर 1956 को महाराष्ट्र के चेंबूर में पैदा हुए अनिल कपूर फिल्म प्रोड्यूसर सुरेंद्र कपूर और निर्मल कपूर के बेटे है, और उनका पूरा परिवार फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ ये बात तो सबको पता हैं लेकिन अनिल कपूर के गरीबी तंगहाली के दिनों के बारे में कम लोग जानते हैं। आज करोड़ों की प्रॉपर्टी के मालिक अनिल कपूर ने ऐसे दिन देखें थे जब उनके पास रहने को घर तक नहीं था और उन्होंने कई रातें गैराज में ही अपने परिवार के साथ गुजारी हैं । अक्सर लोग एक एक्टर के लाइफस्टाइल और सक्सेसफुल करियर के बारे में बातें करते हैं लेकिन इसके पीछे उन्होंने क्या कुछ देखा है उसके बारे में कम ही लोग बता करते हैं चलिए आज अनिल कपूर के लाइफस्टोरी के कुछ ऐसे ही फैक्ट्स आपको बताते हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है।
अनिल कपूर व उनके सारे भाई व बहन अपने पिता सुरेंद्र कपूर की बदौलत मुंबई पहुंचे और सुरेंद्र कपूर, इंडस्ट्री में पृथ्वीराज कपूर की बदौलत। दरअसल पृथ्वीराज के पिता और सुरेंद्र कुमार के पिता आपस में भाई-भाई थे और जब पृथ्वीराज करियर बनाने के लिए पेशावर से मुंबई चले आए थे तो कुछ साल सेटल होने के बाद उन्होंने अपने चचेरे भाई सुरिंदर को भी मुंबई बुलाया था जहां पहले उन्होंने शुरुआत में गीता बाली का पर्सनल असिस्टेंट बनकर काम किया और बाद में फिल्म प्रोडक्शन में कदम रखा लेकिन शुरूआत में उन्हें अपना करियर बनाने में सफलता नहीं मिली।
पूरा परिवार राज कपूर के गैरेज में रहा करता था। शुरुआती संघर्ष के दिनों में उन्होंने कई रातें वहीं काटी और बाद में उन्होंने मिडल क्लास इलाके में एक कमरा किराए पर ले लिया था। पिता सुरेंद्र फिल्म प्रोड्यूसर थे इसलिए अनिल का रूझान भी शुरू से एक्टिंग की तरफ ही रहा और परिवार की काया पलट करने वाले भी वहीं रहे लेकिन एक्टर बनने से पहले उन्होंने गैराज में काम किया और परिवार को संभाला।
आज हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार अनिल कपूर को करियर बनाने में संघर्ष करना पड़ा और करियर की शुरुआत 1980 में उन्होंने तेलगु फिल्म 'वामसा वृक्षम' से की थी। इससे पहले भी उन्होंने कुछ फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए थे और साल 1983 में उन्होंने फिल्म 'वो सात दिन' से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा यहीं से इंडस्ट्री को एक मूंछों वाला एक्टर मिला जो आगे चलकर सुपरस्टार बन गया लेकिन पहचान 1984 में यश चोपड़ा की फिल्म ‘मशाल’ से मिली। फिल्म मिस्टर इंडिया ने तो उन्हें रातों रात सुपरस्टार बना दिया। उसके बाद तो अनिल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिल्म तेजाब, राम लखन’, ‘दिल धड़कने दो’, ‘वेलकम’ ‘जुदाई’,’नायक’ जैसे कई फिल्में उन्होंने की। उन्हें ‘तेजाब’ के लिए बेस्ट एक्टर का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। इसके बाद 1992 में फिर एक बार ‘बेटा’ फिल्म से बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला। उनकी फिल्म ‘विरासत’, ‘बीवी नं.-1’, ‘ताल’, ‘पुकार’ और नायक, ‘नो एंट्री’ जैसे कई फिल्मों में उन्होंने अपना टैलेंट दिखाया है, जिसे आज तक पसंद किया जा रहा है लेकिन इस सफलता के लिए सुनीता कपूर का बड़ा योगदान रहा। अनिल कपूर के लिए सुनीता ने अपना मॉडलिंग करियर तक दांव पर लगा दिया था। दरअसल, जब अनिल स्ट्रगल कर रहे थे तब तक सुनीता एक सफल मॉडल की पहचान रखती थी।
तंगहाली के दिनों में जब काम के लिए अनिल कपूर को एक जगह से दूसरी जगह जाते थे तो टैक्सी का किराया सुनीता देती थी। इतना नहीं उन्होंने अनिल कपूर के आगे अपने परिवार को भी आने नहीं दिया क्योंकि पहले अनिल से शादी के लिए परिवार राजी नहीं था लेकिन दोनों एक साथ रहने का फैसला कर चुके थे। दरसअल, सुनीता अच्छे परिवार व रिच परिवार से संबंध रखती थी और वह नहीं चाहते थे वह स्ट्रगल करने वाले शख्स से शादी करें हालांकि बाद में सब सही हो गया था। मॉडलिंग करियर दांव पर लगा कर उन्होंने अनिल का करियर बनाने में पूरा साथ दिया और अनिल ने भी कभी अपने लाइफ में दूसरी महिला को आने नहीं दिया। अनिल खुद अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं दोनों के 3 बच्चे हैं सोनम, रिया और हर्षवर्धन कपूर। आज भी अनिल अपने बच्चों के साथ आ जाए तो यह पहचानना मुश्किल हो जाए कि बच्चे कौन हैं और पेरेंट्स कौन । फिटनेस फ्रीक माने जाने वाले अनिल कपूर आज भी वैसे ही यंग दिखते हैं जैस 25-30 की उम्र में दिखते थे।