Women Power: जहां खड़ी महिलाएं वहां कोरोना ने भी मानी हार
punjabkesari.in Thursday, Apr 23, 2020 - 12:47 PM (IST)
कोरोना वायरस की जंग जीतने के लिए हर देश के लीडर्स जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। हर कोई अपने तरीके से कोरोना की जंग लड़ने में लगा है। मगर, कोरोना वायरस महामारी में किसी देश के नेतृत्व की काबिलियत को देखना है तो उन देशों को देखिए जहां महिलाएं सुप्रीम लीडर हैं। जी हां, इस वक्त महिलाएं असल हीरो की तरह देश की भागदौड़ संभाल रही है। शायद इसलिए उनके क्षेंत्रों में कोरोना के केस भी काफी कम देखने को मिल रहे हैं।
सना मारिन
सबसे पहले बात करते हैं फिनलैंड की 34 वर्षीय प्रधानमंत्री सना मारिन (Sanna Marin) की, जो दुनिया की सबसे युवा नेता भी हैं। आकड़ों को देखें तो यूरोप के बाकी हिस्सों की तुलना में फिनलैंड की मृत्यु दर काफी कम है। सना ने वक्त रहते वो तमाम उपाय किए जिसकी बहुत जरूरत थी। नतीजा यह रहा कि 55 लाख की आबादी में केवल 3,489 लोग कोरोना संक्रमित है। वहीं यहां मौत का आकड़ा 75 और कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या 1,700 है।
जैसिंडा अर्डर्न
न्यूजीलैंड की प्रधान मंत्री जैसिंडा अर्डर्न उन महिलाओं में से है जिनके काम की वजह से उन्हे कोरोना को हराने में अपार सफलता मिल रही है। अभी तक न्यूजीलैंड में महज थोड़ी इन्फेक्शन रही और जब 100 से ये आंकड़ा बड़ा तो उन्होंने वक्त रहते इसे संभाल लिया।
एंजेला मर्केल
दूसरा देश जर्मनी का आता है जहां कोरोना के चलते मृत्यु दर बेहद कम है और बाकी देशों के लिए ये सोच का विषय बना है कि कोरोना से ये देश कैसे बच पाया है अब इस सफलता के पीछे जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल है।
त्साई इंग वेन
अगला देश ताइवान है, चीन के करीब होते हुए भी ताइवान ने खुद को कोरोना से बचा लिया और इसी बचाव के चलते वहां कोरोना के 400 से भी कम मामले देखने को मिले जबकि जानकारों का तो ये मानना तक था कि ताइवान बुरी तरह प्रभावित होगा लेकिन त्साई इंग वेन की सरकार ने वक्त रहते सब कुछ संभाल लिया।
मेट फ्रेडेरिक्सन
डेनमार्क देश भी इसी में शमिल है जहां की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडेरिक्सन ने मार्च से ही इससे बचने की तैयारी शुरू कर दी थी और कड़े कदम उठाते हुए सीमोओं को भी सील कर दिया गया था। इसी वजह से डेनमार्क में अब तक 5800 मामले ही सामने आए है।
सोफी विल्म्स
बेल्जियम की प्रधानमंत्री सोफी विल्म्स ने भी कोरोना के मामलों को कम करने में अपना पूरा योगदान दिया और इसी वजह से बेल्जियम में 67 प्रतिशत रिक्वरी रेट देखा गया है।
तो ये थे वो देश जहां महिलाओं ने कोरोना को अपने आस पास भी खटकने नही दिया और अगर कोरोना का प्रकोप आया भी तो उन्होंने वक्त रहते उसे संभाल लिया।