शीतला अष्टमी पर करें ये 3 उपाय, मिलेगा माता का आशीर्वाद और घर में आएगी खुशहाली
punjabkesari.in Thursday, Mar 20, 2025 - 05:26 PM (IST)

नारी डेस्क: पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। शीतला अष्टमी का व्रत विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इसे अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसे बसौड़ा (Basoda) कहते हैं, तो कहीं इसे बूढ़ा बसौड़ा और बसियौरा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि शीतला अष्टमी का व्रत करने से संतान की सेहत अच्छी रहती है, घर-परिवार में खुशहाली आती है, और व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है। इस दिन शीतला माता अपनी कृपादृष्टि अपने भक्तों पर बनाए रखती हैं। यही कारण है कि यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख और परिवार की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
शीतला अष्टमी 2025 में कब है?
इस साल शीतला अष्टमी 22 मार्च को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च से शुरू होगी और इसका समापन 23 मार्च को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर होगा। इसलिए, 22 मार्च, शनिवार के दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा और शीतला माता की पूजा की जाएगी।
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शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 6 बजकर 26 मिनट पर होगा। इस दौरान पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
शीतला अष्टमी पर एक दिन पहले बने बासी खाने का भोग शीतला माता को अर्पित किया जाता है। यह बासी खाना बाद में प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इसे बसौड़ा के नाम से जाना जाता है। यह परंपरा भी इस दिन के विशेष महत्व को दर्शाती है।
शीतला अष्टमी के विशेष उपाय
लाल रंग की वस्तुओं का अर्पण: मान्यतानुसार, शीतला माता पर पूजा करते समय लाल रंग की वस्तुएं अर्पित करना शुभ माना जाता है। जैसे कि लाल फूल, श्रृंगार की सामग्री और लाल वस्तुएं। इन वस्तुओं को माता के समक्ष रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गौ माता को प्रसाद देना: पूजा के बाद गौमाता को संतान के नाम का प्रसाद खिलाना भी शुभ होता है। इससे संतान को शीतला माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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मंत्र जाप: बसौड़ा के दिन संतान की खुशहाली के लिए एक विशेष मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। इस मंत्र को 21 बार जाप करना चाहिए। मंत्र है:
"शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।"
शीतला अष्टमी का व्रत धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इसे संतान सुख, परिवार की सुख-शांति और स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन किए गए उपायों से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।