आज मनाई जा रही है सूर्य जयंती, विधिपूर्वक व्रत करने से जीवन में मिलेगी सुख-समृद्धि
punjabkesari.in Saturday, Jan 28, 2023 - 10:54 AM (IST)
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी आज के दिन सूर्य जयंती मनाई जा रही है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है और हर मनोकामना भी पूरी होती है। इसे सूर्य सप्तमी, रथ सप्तमी, माघ सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहते हैं। सूर्य जयंती वाले दिन विधि-विधान से भगवान सूर्य की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि व्रत कथा और पूजा की विधि...
सूर्य देव की जन्म के रुप में मनाई जाती है
हिंदू धर्म के अनुसार, सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को समर्पित की गई है। सूर्य देव की जन्म के रुप में इसे मनाया जाता है, इसलिए इसे सूर्य जयंती कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, अचला सप्तमी का व्रत रखने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा यह व्रत महिलाओं को मुक्ति, सौभाग्य भी देता है। विधि-विधान के साथ व्रत रखने से भगवान सूर्य हर मनोकामना पूरी करते हैं।
व्रत की विधि
व्रत के दिन आप सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय आप गायत्री मंत्र या फिर सूर्य मंत्र का जाप जरुर करें। फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान सूर्य की अष्टदली प्रतिमा बनाएं और विधि-विधान के साथ पूजन करें। पूजा में लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत, धूप और घी के दीपक का प्रयोग भी जरुर करें। सूर्य देव को आप लाल रंग की मिठाई का भोग लगा सकते हैं। पूजा के बाद ब्राह्मण को दान करें।
व्रत की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर से पूछा कि कलयुग में कोई स्त्री किस व्रत को करने से सौभाग्यवती हो सकती है। इस प्रश्न का जवाब देते हुए श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कथा सुनाई और बताया कि प्राचीन काल में इंदुमती नाम की एक वैश्या एक बार ऋषि वशिष्ठ के पास गई। उसने कहा कि हे मुनिराज मैंने आज तक कोई धार्मिक कार्य नहीं किया है, मुझे बताएं कि मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा। वैश्या को वशिष्ठ मुनि ने बताया कि स्त्रियों के लिए कल्याण, मुक्ति और सौभाग्य देने वाला अचला सप्तमी से बड़ा कोई भी व्रत नहीं है। इसलिए तुम यह व्रत करो, तुम्हारा कल्याण जरुर होगा। इंदुमती ने मुनि का आदेश मानकर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की और उसके प्रभाव से वह शरीर छोड़ने के बाद स्वर्ग लोक की प्राप्ति भी हुई। इसके अलावा मान्यताओं के अनुसार, सभी अपसराओं में भी उसी सबसे ऊपर स्थान मिला।