सैनिटरी पैड की फोटो मांगने पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पीरियड शेमिंग पर रोक के लिए जारी होंगे निर्देश
punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 12:40 PM (IST)
नारी डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म से जुड़े अपमानजनक व्यवहार यानी पीरियड शेमिंग के मामलों पर कड़ी नाराजगी जताते हुए पूरे देश में महिलाओं और लड़कियों की गरिमा, निजता और स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा के लिए बाध्यकारी दिशा-निर्देश बनाने पर विचार करने की बात कही। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब भी मांगा है।
हैरान करने वाली घटना
हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में तीन महिला सफाई कर्मचारियों को मासिक धर्म की छुट्टी लेने के लिए इस्तेमाल की हुई सैनिटरी पैड की फोटो व्हाट्सएप पर भेजने को मजबूर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे बेहद शर्मनाक और अमानवीय घटना बताया और कहा कि पूरे देश में ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए।
जस्टिस की बेंच ने जताई नाराजगी
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की अवकाशकालीन बेंच ने टिप्पणी की अगर कोई महिला कर्मचारी मासिक धर्म के कारण भारी काम नहीं कर पा रही है, तो काम किसी दूसरे कर्मचारी को दे दिया जाए। इस तरह की घिनौनी जांच की क्या जरूरत है? बेंच ने कहा कि ये घटनाएं समाज की पिछड़ी मानसिकता को उजागर करती हैं।
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केंद्र से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने SCBA (Supreme Court Bar Association) की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। SCBA के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह, अपर्णा भट्ट और प्रज्ञा बघेल सहित अन्य पदाधिकारियों ने मांग की कि पूरे देश में एकसमान और बाध्यकारी दिशा-निर्देश बनाए जाएं ताकि शैक्षणिक संस्थानों, हॉस्टल, फैक्टरियों और कार्यस्थलों पर महिलाओं को मासिक धर्म की जांच के नाम पर अपमानित न किया जाए।
देशभर में सामने आए मामले
याचिका में कहा गया कि हरियाणा की यह घटना अकेली नहीं है। देश के कई हिस्सों से इसी तरह के अपमानजनक मामले लगातार सामने आ रहे हैं, खासकर असंगठित क्षेत्र की महिला कर्मचारियों के साथ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रथाएं संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन, गरिमा, निजता और शारीरिक अखंडता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
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मामले की सुनवाई और कार्रवाई
हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषी पाए गए दो व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। कोर्ट ने SCBA की सराहना की और कहा कि उम्मीद है कि इस याचिका से पूरे देश में सकारात्मक बदलाव आएगा। आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी होने वाले दिशा-निर्देश पूरे देश के शिक्षण संस्थानों और कार्यस्थलों के लिए बाध्यकारी हो सकते हैं।

