‘ब्रेस्ट छूना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं…’ अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को लेकर की टिप्पणी, जानिए क्या कहा?
punjabkesari.in Wednesday, Mar 26, 2025 - 02:59 PM (IST)

नारी डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश में की गईं उन टिप्पणियों पर रोक लगा दी कि महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे' का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता। इससे पहले भी लोकसभा में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की कोशिश के मामले में दिए गए फैसले का मुद्दा उठाते हुए कहा कि न्यायाधीश के वक्तव्य से देशवासियों की भावनाएं आहत हुईं है और महिलाएं शर्मसार हुईं हैं।
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वहीं न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उसे यह कहते हुए तकलीफ हो रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश में की गईं कुछ टिप्पणियां पूरी तरह से असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण वाली हैं। उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे' का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता लेकिन इस तरह के अपराध किसी भी महिला के खिलाफ हमले या आपराधिक बल के इस्तेमाल के दायरे में आते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की मां ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया है, उसकी याचिका को भी इसके साथ ही जोड़ा जाए उससे दोनों पर साथ सुनवाई आगे बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र, उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी करते हैं। दरअसल यूपी के कासगंज की एक महिला ने बताया कि वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कहीं जा रही थी, रास्ते में पवन, आकाश और अशोक नाम के तीन युवकों ने बेटी को घर छोड़ने के बहाने अपनी बाइक पर बैठा लिया। आरोपियों ने रास्ते में एक पुलिया के पास गाड़ी रोककर उसकी बेटी के स्तन पकड़े और पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। इसके बाद गलत इरादे से उसे पुलिया के नीचे खींच कर ले जाने लगे। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला के स्तन को पकड़ना, उसके पजामे के नाडे को तोड़ना और खींचने की घटना को कतई रेप की कोशिश का अपराध नहीं माना जा सकता।