कुदरत का अद्भुत नजारा! चांद की रोशनी में नहाया आसमान, दिल जीत लेगी सुपरमून की ये तस्‍वीरें

punjabkesari.in Wednesday, Aug 02, 2023 - 12:48 PM (IST)

भारत के लोग दुनिया के अन्य लोगों के साथ इस महीने में पहले दुर्लभ ‘सुपरमून' के गवाह बने। इस महीने दो बार ‘सुपरमून' की घटना देखने को मिलेगी। आखिरी बार एक ही महीने में दो सुपरमून 2018 में देखे गए थे और ऐसी अगली घटना 2037 में देखी जाएगी। सुपरमून दोबारा इस महीने के अंत में 30 अगस्त को दिखाई देगा।

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एम.पी. बिड़ला तारामंडल के पूर्व निदेशक देबीप्रसाद दुआरी ने  कहा कि चंद्रमा 27.3 दिनों में एक बार दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। परिणामस्वरूप, अपनी कक्षा में किसी बिंदु पर यह पृथ्वी से सबसे दूर होगा। दूर के बिंदु को ‘अपोजी' कहा जाता है और किसी अन्य समय में पृथ्वी के सबसे निकट होने की स्थिति को ‘पेरिगी' कहा जाता है। उन्होंने बताया- ‘‘जब ‘पेरिगी' के समय चांद धरती के सबसे निकट होता है तब उस पूर्णिमा को ‘सुपरमून' कहते हैं क्योंकि उसका आकार सामान्य से बड़ा दिखता है।'' 

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 पिछली बार अगस्त 2018 में सुपरमून की खगोलीय घटना देखने को मिली थी और इस तरह की अगली आकाशीय घटना 2037 में देखने को मिलेगी।  यह उत्साहजनक है क्योंकि संयोग से चंद्रयान-3 का मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा की ओर रुख करेगा। चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने का कार्यक्रम है।

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कहा जाता है कि  चंद्रमा अंडाकार कक्षा में घूमते हुए 27.3 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है। इसका नतीजा है कि कक्षा में एक समय आता है जब वह पृथ्वी से सबसे दूर होता है और उस बिंदु को अपोजी कहते हैं और जब वह सबसे नजदीक आता है तो उस बिंदु को पेरिजी कहते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पेरिजी के नजदीक होता या पृथ्वी के करीब होता है तो उसे हम ‘सुपरमून' कहते हैं।'' दुआरी ने कहा कि सुपरमून सामान्य से सात प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत चमकीला दिखता है। 

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vasudha

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