जिस बेटे ने मां को मारा चाकू उसी मां ने जेल जाने से बचाया, कोर्ट ने कहा- यही है मां की ममता...
punjabkesari.in Monday, Mar 10, 2025 - 05:02 PM (IST)

नारी डेस्क: केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अजीब और संवेदनशील मामले में 25 वर्षीय युवक सिमेल को जमानत दे दी है। सिमेल पर आरोप था कि उसने अपनी मां पर चाकू से हमला किया था। यह फैसला तब आया जब सिमेल की मां ने अदालत में बयान दिया कि वह अपने बेटे को जेल में नहीं देख सकती। अदालत ने इस मामले में मां के बयान को अहम माना और आरोपी को राहत दी।
"मां का प्यार कभी खत्म नहीं होता"
इस मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यह एक दुखी मां के आंसुओं से भरे शब्द थे। उन्होंने कहा कि हो सकता है, मां ने अपने न भरने वाले घावों का दर्द भी भूलकर बेटे को माफ कर दिया हो। उन्होंने मां के प्यार की तुलना एक गुलाब से की और कहा कि यह हमेशा खिलता रहता है, चाहे हालात कितने भी बुरे क्यों न हों। अदालत ने इस बारीकी से विचार किया कि मां के प्यार का कोई अंत नहीं होता, और इसी कारण उसने बेटे को जमानत देने का निर्णय लिया।
नए साल पर पैसे न देने पर बेटे ने किया हमला
यह दुखद घटना नए साल के जश्न के दौरान हुई थी। सिमेल ने अपनी मां से पैसे मांगे थे, लेकिन जब मां ने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो वह गुस्से में आ गया। गुस्से में आकर उसने चाकू उठाया और अपनी मां पर हमला कर दिया। इस हमले में मां के सिर, चेहरे और हाथों पर 12 गहरे घाव आए। मामले के सामने आते ही पुलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ हत्या के प्रयास सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया।
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पहले नहीं मिली थी जमानत, फिर मां के बयान से पलटा फैसला
सिमेल को गिरफ्तार करने के बाद, उसे जमानत की अर्जी दी गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। अदालत ने यह कहा था कि आरोपी को तभी जमानत मिल सकती है, जब उसकी मां यह कहे कि उसे कोई शिकायत नहीं है। कुछ समय बाद, सिमेल की मां ने अदालत में हलफनामा दायर कर कहा कि उसे अपने बेटे से कोई शिकायत नहीं है और वह उसे जेल में नहीं देख सकती। मां के इस बयान ने अदालत का रुख बदल दिया और सिमेल को जमानत मिल गई।
जमानत रद्द होने की शर्त
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में मां अपने बेटे के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराती है या किसी कानूनी कदम की पहल करती है, तो सिमेल की जमानत रद्द कर दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि अगर आरोपी भविष्य में कोई गलत काम करता है या फिर अपनी मां के खिलाफ हिंसा करता है, तो उसे फिर से जेल भेजा जाएगा।
इस फैसले ने साबित कर दिया कि अदालत संवेदनशीलता के साथ मामलों का समाधान करना चाहती है, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि यदि आरोपी का व्यवहार सुधार नहीं होता, तो उसे सजा मिलेगी।