दिल की बीमारी से दुनियाभर में 3.5 लाख मौतें, रिसर्च में सामने आई चौंकाने वाली वजह

punjabkesari.in Wednesday, Apr 30, 2025 - 02:48 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल लगभग हर घर में प्लास्टिक की चीजें इस्तेमाल की जाती हैं। चाहे वह पानी की बोतल हो, खाने के डिब्बे हों या बच्चों के खिलौने, हर जगह प्लास्टिक ही प्लास्टिक है। लेकिन बहुत कम लोगों को यह जानकारी होती है कि यह प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। दरअसल, प्लास्टिक की चीजें हमारे शरीर के लिए एक 'साइलेंट किलर' यानी चुपचाप मारने वाला ज़हर बन गई हैं।

फैथेलेट्स की वजह से 2018 में हुईं लाखों मौतें

प्लास्टिक को नरम और लचीला बनाने के लिए जो रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें फैथेलेट्स (Phthalates) कहा जाता है। इन्हीं खतरनाक रसायनों की वजह से साल 2018 में दुनिया भर में 3.56 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं। इनमें से सबसे ज्यादा मौतें 55 से 64 साल के लोगों की उम्र में दर्ज की गई हैं।

भारत में सबसे ज्यादा मौतें

इस रिसर्च को ‘ईबायोमेडिसिन’ (eBioMedicine) नाम की एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। रिसर्च में बताया गया कि साल 2018 में सबसे ज्यादा 1,03,587 मौतें केवल भारत में हुईं। इसके बाद चीन और इंडोनेशिया का नंबर आता है। इसके साथ ही यह भी सामने आया कि कुल 3.5 लाख मौतों में से लगभग तीन चौथाई दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में हुईं।

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रिसर्च कैसे हुई?

इस रिसर्च का नेतृत्व न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने किया। शोधकर्ताओं ने 200 देशों और क्षेत्रों से जनसंख्या सर्वेक्षणों के माध्यम से स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ा डेटा एकत्र किया और उसका विश्लेषण किया। इसमें ‘डाइ-2-एथिलहेक्सिल फैथेलेट’ (DEHP) नामक रसायन पर खास ध्यान केंद्रित किया गया। यह वही रसायन है जिसका इस्तेमाल खाने-पीने के कंटेनर और दूसरी प्लास्टिक की चीजों में होता है।

मूत्र के नमूनों से पता चला खतरा: शोधकर्ताओं ने मूत्र के नमूनों (Urine Samples) का परीक्षण कर यह जाना कि फैथेलेट्स शरीर में किस मात्रा में पहुँच रहे हैं और शरीर के अंदर ये किस तरह टूटकर हानिकारक रासायनिक उत्पाद (Toxic Metabolites) बना रहे हैं।

फैथेलेट्स से होने वाली बीमारियां

रिसर्च में यह पाया गया कि ये रसायन शरीर में पहुंचकर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जैसे मोटापा (Obesity), प्रजनन संबंधी समस्याएं (Reproductive Issues), कैंसर (Cancer), हृदय रोग (Heart Disease)

दिल के दौरे का खतरा बढ़ता है: विशेषज्ञों का कहना है कि फैथेलेट्स जैसे रसायन हृदय की धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं। यही सूजन धीरे-धीरे बढ़कर दिल का दौरा (Heart Attack) जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है।

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भारत में खतरा और ज्यादा क्यों?

भारत में प्लास्टिक उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही प्लास्टिक कचरे का स्तर भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसका मतलब है कि भारतीय लोग इन खतरनाक रसायनों के ज्यादा संपर्क में आ रहे हैं और इस वजह से उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।

विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन की रिसर्चर सारा हाइमन ने कहा,"हमारे निष्कर्ष ये दिखाते हैं कि फैथेलेट्स जैसे रसायन इंसानों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं।" वहीं इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और वरिष्ठ लेखक लियोनार्डो ट्रासांडे ने कहा, "हमारे परिणाम बताते हैं कि पूरी दुनिया में फैथेलेट्स के इस्तेमाल पर सख्त नियमों की जरूरत है। खासकर उन देशों में, जहाँ प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो रहा है।"

यह रिसर्च एक बार फिर इस बात को सामने लाती है कि प्लास्टिक सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर खतरा बन चुका है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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