सजना-संवरना पड़ सकता है भारी, मेकअप से हो सकती है ये गंभीर बीमारी

punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 01:06 PM (IST)

नारी डेस्क:  आजकल मेकअप सिर्फ फैशन नहीं बल्कि डेली लाइफ का हिस्सा बन गया है। खासकर महिलाओं के लिए ऑफिस, पार्टी या यात्रा के दौरान खूबसूरत दिखना जरूरी होता है, इसलिए वे वाटरप्रूफ मेकअप का इस्तेमाल करती हैं। ये मेकअप लंबे समय तक टिका रहता है और पसीना या पानी लगने पर भी खराब नहीं होता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये वाटरप्रूफ मेकअप आपके हार्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकता है?

हार्मोन असंतुलन क्या है?

जब शरीर में किसी हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यादा या बहुत कम हो जाती है, तो उसे हार्मोन असंतुलन कहा जाता है। महिलाओं में इसके कारण पीसीओएस, थायराइड, वजन बढ़ना, अनियमित पीरियड्स, मूड स्विंग, नींद की दिक्कत और त्वचा व बालों की समस्याएं हो सकती हैं।

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एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

एक रिसर्च के अनुसार, हार्वर्ड पब्लिक स्कूल ने वाटरप्रूफ मेकअप प्रोडक्ट्स पर स्टडी की जिसमें पाया गया कि इनमें हाई फ्लोरीन (Fluorine) जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं। ये केमिकल्स शरीर के हार्मोन्स जैसे एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन को प्रभावित कर सकते हैं। लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर इससे बांझपन, हार्मोनल बीमारियां और यहां तक कि स्तन कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।

कैसे वाटरप्रूफ मेकअप हार्मोन असंतुलन का कारण बनता है?

1. फिनोक्सीएथेनॉल (Phenoxyethanol)

इस केमिकल का इस्तेमाल मेकअप प्रोडक्ट्स को लंबे समय तक खराब होने से बचाने के लिए होता है। यह त्वचा के जरिए शरीर में जाकर एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन की नकल करता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक हार्मोन प्रक्रिया बाधित हो सकती है। रिसर्च में ये भी सामने आया है कि यह थायराइड ग्रंथि को भी प्रभावित कर सकता है।

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2. फ्थेलेट्स (Phthalates)

इनका इस्तेमाल मेकअप को सॉफ्ट और लचीला बनाने के लिए किया जाता है। खासकर DEHP और DBP नामक फ्थेलेट्स को टेस्टोस्टेरोन को कम करने से जोड़ा गया है। इससे पुरुषों में स्पर्म की गुणवत्ता और प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। महिलाओं में ये हार्मोनल बदलाव और गर्भधारण में दिक्कत पैदा कर सकता है।

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3. पैराबेन्स (Parabens)

यह एक प्रिज़र्वेटिव है जो काजल, लिपस्टिक, फाउंडेशन आदि में मिलाया जाता है। यह शरीर में जाकर एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स को सक्रिय कर देता है, जिससे एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। इसके कारण अनियमित पीरियड्स, मूड स्विंग, ब्रेस्ट में गांठ और कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

4. PFAS (Per- and Polyfluoroalkyl Substances)

ये केमिकल खासतौर पर लोकल ब्रांड्स में ज्यादा मिलाए जाते हैं ताकि मेकअप ज्यादा आकर्षक लगे। लेकिन ये शरीर में जमा होकर प्रजनन हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं और मेनोपॉज संबंधी दिक्कतों का कारण बन सकते हैं।

कैसे करें बचाव?

मेकअप प्रोडक्ट खरीदने से पहले उसकी सामग्री (Ingredients) का लेबल जरूर पढ़ें।

जिन उत्पादों में ऊपर बताए गए केमिकल्स हों, उनसे बचें।

जब भी संभव हो, ऑर्गेनिक या नेचुरल मेकअप प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करें।

त्वचा पर कम से कम केमिकल युक्त चीजें लगाएं।

खूबसूरत दिखने की चाह में हम अनजाने में अपने स्वास्थ्य से समझौता कर बैठते हैं। वाटरप्रूफ मेकअप भले ही सुविधाजनक हो, लेकिन इसका लंबे समय तक लगातार इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए समझदारी से प्रोडक्ट चुनें और जहां तक हो सके, नेचुरल विकल्प अपनाएं।  


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Content Editor

Priya Yadav

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