शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन पूरा, घर वापसी से पहले NASA के पुनर्वास केंद्र में रहेंगे 7 दिन
punjabkesari.in Sunday, Jul 13, 2025 - 04:11 PM (IST)

नारी डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गए थे, अब अपनी 18 दिन की यात्रा पूरी करके जल्द ही पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। हालांकि, उनकी अंतरिक्ष से वापसी और घर पहुंचने के बीच लगभग 7 दिनों का अंतराल होगा, क्योंकि इस दौरान उन्हें NASA की विशेष निगरानी में रखा जाएगा।
NASA की निगरानी में 7 दिन क्यों?
शुभांशु शुक्ला सहित सभी अंतरिक्ष यात्री जब लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहते हैं, तो माइक्रोग्रैविटी (मूलत: गुरुत्वाकर्षण की कमी) के कारण उनके शरीर में कई शारीरिक बदलाव आते हैं। इससे उनकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, शरीर का संतुलन और समन्वय (कोऑर्डिनेशन) कम हो जाता है, और कार्डियोवैस्कुलर (हृदय संबंधी) क्षमता भी प्रभावित होती है। ऐसे में पृथ्वी पर लौटने के बाद उनकी पूरी सेहत को वापस सामान्य करने के लिए पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) का कार्यक्रम शुरू किया जाता है।
इस पुनर्वास कार्यक्रम में 7 दिन लगते हैं क्योंकि शुभांशु का मिशन 18 दिन का था। NASA इस दौरान उनकी हर गतिविधि पर नजर रखेगा ताकि वे पूरी तरह स्वस्थ होकर घर वापस जा सकें।
शुभांशु शुक्ला की वापसी का पूरा कार्यक्रम
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि शुभांशु 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे पृथ्वी पर उतर सकते हैं। मिशन का "अंडॉकिंग" यानी ISS से पृथ्वी लौटने के लिए निकासी 14 जुलाई शाम 4 बजकर 30 मिनट पर होगी। मिशन के नेतृत्वकर्ता कमांडर पेगी व्हिटसन हैं, जबकि शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका निभा रहे हैं।
अंतरिक्ष में शुभांशु और उनकी टीम ने क्या किया?
NASA के अनुसार, एक्सिओम-4 टीम ने अंतरिक्ष में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए हैं-
जैव-चिकित्सीय अनुसंधान: रक्त के नमूने लिए गए।
माइक्रोएल्गी का अध्ययन: यह छोटे-छोटे शैवाल होते हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष में भोजन और जीवन समर्थन का स्रोत बन सकते हैं।
नैनोमटेरियल्स का अध्ययन: ये छोटे पदार्थ होते हैं, जो स्वास्थ्य निगरानी के लिए पहनने योग्य उपकरण बनाने में मदद करते हैं।
इलेक्ट्रिकल मसल स्टिमुलेशन, थर्मल कम्फर्ट सूट सामग्री की जांच, और क्रू बिहेवियरल स्टडी: इन सबका अध्ययन भी किया गया।
रविवार से वे अपने प्रयोगों से जुड़ी सामग्री पैक कर के पृथ्वी पर लाने के लिए तैयार करेंगे।
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पुनर्वास के दौरान शुभांशु किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरेंगे?
रिहैबिलिटेशन का पहला चरण होता है एम्बुलेशन, जिसमें चलने-फिरने, हृदय की फिटनेस और शरीर की लचीलापन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है। धीरे-धीरे एक्सरसाइज की मात्रा बढ़ाई जाती है। बाद के चरणों में शरीर का संतुलन और समन्वय बढ़ाने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे फिर से रोजमर्रा के काम आसानी से कर सकें। यह पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिकों की निगरानी में होती है।
मिशन की लंबाई और पुनर्वास का समय
मिशन जितना लंबा होगा, पुनर्वास का समय भी उतना ही ज्यादा होगा। उदाहरण के लिए, सुनीता विलियम्स ने 600 से ज्यादा दिन अंतरिक्ष में बिताए थे, इसलिए उन्हें 45 दिन तक रिहैबिलिटेशन में रखा गया था। शुभांशु शुक्ला का मिशन 18 दिन का है, इसलिए उनके लिए 7 दिन का पुनर्वास निर्धारित किया गया है।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा एक बड़ी सफलता रही है, जिसमें उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। अब वे 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटेंगे, लेकिन सीधे घर नहीं जा पाएंगे। वे 7 दिन तक NASA की निगरानी और पुनर्वास के तहत रहेंगे ताकि उनका शरीर पूरी तरह से सामान्य हो सके और वे स्वस्थ होकर परिवार के पास लौट सकें।