राधा अष्टमी पर इस शुभ मुहूर्त में करें मां की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2023 - 06:38 PM (IST)

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को राधा जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को राधाअष्टमी के रुप में मनाया जाता है। इस बार राधा जी का जन्मदिन 23 सितंबर यानी की शनिवार को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, राधा जी का जन्म श्रीकृष्ण के साथ सृष्टि में प्रेम भाव मजबूत करने के लिए हुआ था। माना जाता है कि राधा के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा जी का नाम भी लिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के जैसे राधा अष्टमी भी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा विधि क्या है....

शुभ मुहूर्त 

पंचागों की मानें तो 22 सितंबर दोपहर 01:35 से शुरु होगी और अगले दिन 23 सितंबर को दोपहर 12:17  पर खत्म होगी। उदया तिथि की मानें तो राधा अष्टमी का पर्व 23 सितंबर शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर के 1:30 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। 

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कैसे करें मां राधा की पूजा? 

राधा अष्टमी पर राधा की धातु या फिर पाषाण की प्रतिमा ले आएं। इसके बाद मूर्ति को पंचामृत के साथ स्नान करवाएं और नए वस्त्र पहनाएं। मध्यान्ह में मंडप के अंदर तांबे या मिट्टी का बर्तन पर मां की प्रतिमा स्थापित करें। राधा जी को भोग लगाकर धूप, दीप, पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद मां की आरती करें। यदि संभव हो तो इस दिन उपवास रखें। अगले दिन किसी सौभाग्यवती स्त्री को श्रृंगार का सामान और मूर्ति का दान करें। इसके बाद खाना खाएं और व्रत तोड़ें।

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व्रत का महत्व 

जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी के व्रत का भी खास महत्व है। माना जाता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सारे पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं की मानें तो जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर लेते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण खुद ही खुश हो जाते हैं। माना जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

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palak

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